गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ न देने का लगाया आरोप

Thursday, Jan 29, 2015 - 01:06 AM (IST)

सुल्तानपुर लोधी(धीर): गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ न देने का लगाया आरोपसास की मौत के बाद श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ न देने का आरोप लगाया है। गांव वासियों के साथ कमलजीत कौर ने एक लिखित बयान जरिए बातचीत करते हुए बताया कि बीते दिनों उनकी सास पूरन कौर की मौत हो गई थी तथा उन्होंने माता के भोग के मौके श्री सुखमणि साहिब का पाठ करवाना था तथा इस संबंधी उन्होंने बाबा गुरचरन सिंह जी से पवित्र श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ का प्रकाश करने के लिए कहा। 

उन्होंने कहा कि हमारे गांव में पहले काफी लम्बे समय से श्री रामायण साहिब तथा श्री गुरु ग्रंथ साहिब बारे झगड़ा चला आ रहा है। उन्होंने कहा कि हम किसी भी पार्टी के विरुद्ध नहीं हैं तथा हमारी श्री गुरु ग्रंथ साहिब के लिए बहुत श्रद्धा है। उन्होंने कहा कि जब भोग के समय हम बाबा जी से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ मांगने गए तो उनको गांव के कुछ व्यक्तियों ने, जो हमारे साथ दुश्मनी रखते थे, उन्होंने बाबा जी को हमारे खिलाफ यह कहा कि ये लोग तो श्री रामायण को मानते हैं, इसलिए इनको गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ न दी जाए। उन्होंने कहा कि बाबा जी ने उन व्यक्तियों के कहने पर हमें बीड़ देने से इन्कार कर दिया तथा बाद में हम किसी अन्य गांव से गुरु ग्रंथ साहिब जी की बीड़ को लाकर श्री सुखमणि साहिब जी के भोग डाले। 
 
क्या कहते हैं बाबा गुरचरन सिंह जीइस संबंधी जब बाबा गुरचरन सिंह जी के साथ बातचीत की तो उन्होंने कहा कि इस गांव में बड़ी देर से एक गुरुद्वारे में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के प्रकाश संबंधी वाद-विवाद चला आ रहा है। उन्होंने कहा कि उन्होंने गांव वासियों के कहने पर ही कार सेवा जरिए गुरुद्वारा साहिब की नई इमारत तैयार करवाकर दी थी, क्योंकि इस जगह पर पहले ही श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश चला आ रहा था। 
 
उन्होंने कहा कि कुछ शरारती व्यक्तियों ने इसको राजनीतिक रंग देकर इस स्थान पर श्री रामायण का प्रकाश करवा कर वाद-विवाद खड़ा करवा दिया। उन्होंने बताया कि जब ये लोग श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की पहले बीड़ मांगने आए थे तो उनको इनके बारे कुछ पता नहीं था, परन्तु पता चलने पर कि ये लोग भी उस समय श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का निरादर करने वाली पार्टी के साथ थे, तो उन्होंने उन लोगों को बीड़ देने से इंकार कर दिया। 
उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब का उस समय निरादर किया था, वे अब किसी तरह यह बीड़ मांगने आए हैं। उन्होंने कहा कि इस वाद-विवाद के कारण ही उन्होंने इस संबंधी कोई भी फैसला देने से इन्कार किया था। 
 
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