बी.डी.पी.ओ. दफ्तर पर लटकता राष्ट्रीय तिरंगा बना चर्चा का विषय

punjabkesari.in Tuesday, Jan 27, 2015 - 11:39 PM (IST)

फिरोजपुर (कुमार): राष्ट्रीय तिरंगा हमारे देश की शान है और इस तिरंगे को बुलंदियों पर देखना हर हिन्दुस्तानी का हमेशा सपना रहता है। हमारे देश में जब कभी राष्ट्रीय तिरंगे की बात आती है तो हर हिन्दुस्तानी अपनी जाति-भाषा, प्रांत व मजहब आदि सब भूल जाता है। 
 
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर जहां भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और हर हिन्दुस्तानी ने भारतीय तिरंगे को सलामी दी और अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा यह सब कुछ देख कर हैरान रह गए, वहीं स्थानीय शहर में बी.डी.पी.ओ. आफिस पर लटकता तिरंगा लोगों में चर्चा का विषय बना रहा। 
 
बी.डी.पी.ओ. दफ्तर की छत पर रखे गए तिरंगे को देख कर लोग हैरान-परेशान थे कि जिस राष्ट्रीय झंडे को हम अपनी जान से भी ज्यादा अहमियत देते हैं और जिस तिरंगे को देश-विदेशों में सलामियां दी जाती हैं उस तिरंगे को सरकारी दफ्तर की छत पर ऐसे रखा हुआ है जैसे किसी ने अपना तौलिया सुखाने के लिए रखा हो। 
 
बुद्धिजीवियों व अलग-अलग संगठनों के प्रतिनिधियों ने इस बात की सख्त शब्दों में निन्दा करते कहा कि अकालियों की सरकार में लोगों को इससे ज्यादा कोई उम्मीद हो ही नहीं सकती और कुछ लोगों ने कहा कि प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर सिंह बादल की सरकार में इस तरह की इज्जत दी जाती है हमारे तिरंगे को। कुछ लोग तो इस झंडे को देखने के लिए विशेष तौर पर गए और कुछ लोगों ने इसकी फोटो खींच कर लोगों तथा अधिकारियों को व्हाट्सएप व फेसबुक पर भेजी।
 
इस बाबत दूसरी ओर बी.डी.पी.ओ. जसवंत सिंह वड़ैच ने कहा कि हम राष्ट्रीय झंडे का पूरा सत्कार करते हैं और तिरंगा हमारी जान से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय झंडा धोकर सुखाने के लिए रखा गया था। हुसैनीवाला स्थित शहीदों के स्मारकों पर चढ़ाए जाते राष्ट्रीय झंडे की देखभाल बी.डी.पी.ओ. आफिस द्वारा की जाती है और 15 अगस्त, 26 जनवरी या 23 मार्च आदि के दिन राष्ट्रीय झंडा फहराने के बाद जब झंडा उतारा जाता है तो उसे हम धोकर सम्भाल कर रख लेते हैं। 
 
उन्होंने कहा कि हुसैनीवाला से 26 जनवरी को राष्ट्रीय झंडा फहराने और उतारने के बाद धोकर दफ्तर की छत पर सुखाने के लिए रखा गया था।

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