जनता रो रही है, ट्रैफिक पुलिस सो रही है

Thursday, Jan 08, 2015 - 07:08 AM (IST)

जालंधर का ट्रैफिक इज टैरीफिक
जालंधर (महाजन): जालंधर शहर का ट्रैफिक दिन-प्रतिदिन टैरीफिक होता जा रहा है। शहर में एक जगह से दूसरी जगह जाने पर ट्रैफिक की वजह से बहुत समय बर्बाद हो जाता है। एक तरफ तो सड़कें टूटी होने और ऊपर से ट्रैफिक के कारण जनता परेशान हो रही है तो दूसरी तरफ ट्रैफिक पुलिस व नगर निगम कुंभकर्णी नींद में है। जालंधर में ज्यादा ट्रैफिक एन्क्रोचमैंट से बढ़ रहा है। लोगों ने सड़कों पर अपना सामान रखकर जगह-जगह एन्क्रोचमैंट की हुई है। अगर ट्रैफिक पुलिस से बात की जाए कि यह एन्क्रोचमैंट क्यों नहीं हटाई जाती है तो वह नगर निगम की तहबाजारी विभाग की जिम्मेदारी देकर अपना पल्ला झाड़ लेती है।

अगर नगर निगम के कर्मचारी व ट्रैफिक पुलिस मिलकर काम करें तो एन्क्रोचमैंट खत्म की जा सकती है और ट्रैफिक में कुछ सुधार हो सकता है। दूसरा आम तौर पर देखा जाता है कि लोग सड़क पर अपनी गाडिय़ां खड़ी कर देते हैं जिससे ट्रैफिक समस्या बढ़ जाती है। अगर ट्रैफिक पुलिस इन पर सख्ती करे व सड़क पर खड़ी गाडिय़ों व स्कूटरों पर जुर्माना लगाए या उन्हें टो कर ले तो लोगों में कुछ डर पैदा होगा। वे अपने वाहन सड़क पर खड़ा करने से पहले सोचेंगे।

अगर ट्रैफिक पुलिस मोबाइल मोटरसाइकिलों पर चक्कर लगाए और लोगों को अपने वाहन सड़क पर न खड़ा करने दे तो भी ट्रैफिक समस्या का हल हो सकता है। ट्रैफिक पुलिस को चाहिए कि ट्रैफिक को सुधारने के लिए कदम उठाए और लोगों को ट्रैफिक रूल्ज के बारे में जानकारी दे। जो लोग रूल्ज को फालो न करें उन पर शिकंजा कसे। अगर चंडीगढ़ की ट्रैफिक पुलिस ट्रैफिक को सुचारू रूप से चला सकती है तो जालंधर की ट्रैफिक पुलिस क्यों नहीं ऐसा कर सकती। अगर लोग चंडीगढ़ की पुलिस से डरते हुए ट्रैफिक के रूल्स फालो कर सकते हैं तो ऐसा जालंधर में क्यों नहीं हो सकता। ट्रैफिक अधिकारियों को चाहिए कि जालंधर में एरिया वाइज लोगों के सहयोग से ट्रैफिक कमेटियां बनाएं जो कि ट्रैफिक को सुचारू रूप से चलाने के लिए पुलिस को समय-समय पर जागरूक करें ताकि ट्रैफिक समस्या का समाधान हो सके।

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