पंजाब में 71 फीसदी लोग नशे की चपेट में

Wednesday, Feb 27, 2019 - 10:37 AM (IST)

चंडीगढ़(रश्मि): पंजाब की अदालतों में आने वाले 71.4 फीसदी लोग नशे की गिरफ्त में हैं। ये लोग 20 से 40 वर्ष की उम्र के है। यह नारकोटिक ड्रग एवं साइकोट्रेपिक ड्रग स्टै्रंथ (एन.डी.पी.एस.) के डाटा में सामने आया है। यह बात पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के (सेवानिवृत) जस्टिस रंजीत सिंह ने कही। उन्होंने कहा कि ज्यूडिशरी भी नशे से संबंधित हर मामले में अप-टू-डेट नहीं है। बहुत सारे कानून हैं, जो हर परिस्थिति में से अलग से लागू होते हैं। बहुत सारे ऐसी एफ.आई.आर. हैं, जिनमें कानून में  भिन्नता रहती ही है।

 पी.यू. के सैंटर फॉर ह्यूमन राइट्स एवं ड्यूटी की ओर से विधि सैंटर फॉर लीगल पॉलिसी नई दिल्ली की ओर से ‘वर्किंग ऑफ एन.डी.पी.एस. इन पंजाब की ओर से नशे पर एक पैनल डिस्कशन किया गया। इस मौके पर एस.वी.सी. दविंद्र सिंह भी उपस्थित थे। रंजीत ने कहा कि ग्राऊंड रियाल्टी यह है कि गांव के हर व्यक्ति को पता होता है कि गांव में कौन ड्रग बेच रहा है। गांव में ऐसे एक-दो व्यक्ति ही होते हैं। 

गांव में जो पॉलिटिकल नेता है, उनमें से यह कुछ नेताओं सेे मिलते हैं। इनके साथ उनकी सांठ-गांठ है। पुलिस ऑफिसर को कह दिया जाता है कि इन व्यकित्यों के खिलाफ कोई कार्रवाई की जाए। अगर हम इंग्लैंड में जाए तो वहां के कांस्टेबल को भीयह शक्ति होती है वह क्राइम करने वालों के खिलाफ आवाज उठा सकता है। वहां के लोगों को इतनी स्वतंत्रता है, लेकिन देश में नियमों का एक दायरा तय कर दिया गया है। 

उन्होंने कहा कि दुख की बात है कि एल्कोहल एन.डी.पी.एस. के अंडर नहीं आता है। बेरोजगारी युवाओं को नशे की तरफ ले जा रही है। कोर्ट में बड़ी संख्या में मुकदमें बाजी पैंडिंग है। उन्होंने कहा कि कानून को सच्चे मन से लागू किया जाना चाहिए। एन.डी.पी.एस. ने हिमाचल प्रदेश में बहुत अच्छे ढंग से लागू किया गया।

अपराधी जिन्हेंं सजा हुई और जो बरी हुए
एक्ट                             कुल        सजा      बरी

नोरकोटिक्स                  765       694        71
इंडियन पैनल कोड      1660         513     1147
आम्र्स एक्ट                 28          19           9
सैंटर एक्ससाइज         292         230        62    
पब्लिक गैंबलिग         182        165         17
प्रीवैंशन ऑफ क्रप्शन       6           2          4

50 फीसदी लोग नशीली दवाइयां प्रयोग करते हैं
कार्यक्रम में नेहा सिंघाल, विभाग की चेयरपर्सन नमिता गुप्ता भी उपस्थित थीं। इंस्टीट्यूट ऑफ कोरेकशनल एडमिनिस्ट्रेशन चंडीगढ़ की डा. उपनीत लाली ने कहा किनशीले पदार्थों का सेवल केवल कैदियों के लिए नहीं  बल्किसमाज के लिए बुरा है। उन्होंने नशे को सेवन करने वाले 90 फीसदी, नशीली दवाओं के दुरुप्रयोग करने वाले 50 फीसदी लोग है। ड्रग लेने वालों केकैद रखना ही सॉल्यूशन नहीं है।

पुलिस से हटे पॉलिटिकल दबाव
आई.पी.एस. बी. चंद्रा शेखर ने कहा किअगर हम चाहते हैं कि पुलिस ईमानदरी से काम करे तो पॉलिटिकल दबाव को हटाना होगा। उन्होंने बड्डी प्रोग्राम ड्रग एब्यूज प्रैंवेशन ऑफिसर और अवेयरनैस कैंपेन के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि स्वच्छता अभियान, योगा मैडिटेशन और ठीकरी पहरा एक्टिविटी से नशे को दूर किया जा सकता है। पुलिस में 80 फीसदी अच्छे लोग हैं, जो देश के लिए काम करना चाहते है। डी-ऑक्शिन सैंटर के हॉस्पिटल में 1100 बेड हैं और इलाज 11 लाख लोगों का इलाज होना है। 

2016 का यह है रिकॉर्ड
जिला           मामले 
अमृतसर       2934
जालंधर        3266
लुधियाना      2514
पटियाला       2127
रोपड़                348
कपूरथला        1140

bhavita joshi

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