प्रॉपर्टी गाइडलाइन दर 20% घटाई, रजिस्ट्री शुल्क 2.2% बढ़ा

punjabkesari.in Thursday, Jun 20, 2019 - 04:56 PM (IST)

नई दिल्लीः रियल एस्टेट को मंदी से उबारने के लिए राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में सरकार ने प्रदेश में प्रॉपर्टी की कलेक्टर गाइडलाइन (बाजार दर) 20 फीसदी घटा दी है। प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब कलेक्टर गाइडलाइन घटाई गई हो। इसके साथ ही सरकार ने रजिस्ट्री शुल्क 2.2 प्रतिशत बढ़ा दिया। पहले यह शुल्क 7.3 फीसदी था, जो अब 9.5 फीसदी होगा। जबकि इस पर नगरीय क्षेत्र में पहले की तरह ही 3 फीसदी अतिरिक्त शुल्क लगता रहेगा। सरकार का तर्क है कि इससे जनता की जेब पर भार नहीं बढ़ेगा। 

कैबिनेट ने नई कलेक्टर गाइड लाइन को मंजूरी देते हुए महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिए भी फैसला लिया। प्रापर्टी में सह भागीदार बनाए जाने पर स्टाम्प शुल्क 1000 रुपए और पंजीयन फीस 100 रुपए देना होगा। वाणिज्यिककर विभाग के प्रमुख सचिव मनु श्रीवास्तव का कहना है कि कलेक्टर गाइडलाइन समेत अन्य फैसलों को एक सप्ताह के भीतर लागू कर दिया जाएगा। 

गाइड लाइन से ज्यादा कीमत होने पर जमा करना होगा शुल्क 
- अचल संपत्ति के हस्तांतरण में यदि गाइड लाइन से अधिक मूल्य है तो अंतर के मूल्य पर 2.1 फीसदी शुल्क देय होगा। नगरीय क्षेत्र में यह 3 फीसदी अतिरिक्त शुल्क देय होगा। यदि गाइड लाइन के अनुसार कीमत 30 लाख है और अचल संपत्ति बेची गई 34 लाख रुपए में तो इस पर अंतर के 4 लाख रुपए का 8400 रुपए शुल्क देना होगा। 

- पारिवारिक विभाजन में स्टाम्प शुल्क की वर्तमान दर 2.5 को घटाकर 0.5 प्रतिशत कर दिया गया है। ताकि परिवार में आंतरिक बंटवारों को सुगम बनाया जा सके। 

- परिवार के मध्य चल संपत्ति की कीमत पर अभी 2.5 स्टाम्प शुल्क तथा पंजीयन शुल्क 0.8 फीसदी है। इन्हे घटाकर 500 रुपए अधिकतम सीमा के साथ 1 प्रतिशत तथा 100 रुपए की अधिकतम सीमा के साथ 0.8 फीसदी किया गया है। 

- नगरीय निकाय क्षेत्र में कृषि भूमि के मामले में एक हजार वर्गमीटर तक प्लाट के मान से तथा बाकी भूमि कृषि अनुसार मूल्यांकन के प्रावधान में बदलाव किया गया है। अब 400 वर्गमीटर तक प्लाट के मान से, अगले 300 वर्गमीटर के लिए प्लाट के 80 फीसदी तथा अगले 300 वर्गमीटर के लिए 60 प्रतिशत अनुसार मूल्यांकन का प्रावधान रखा गया है, तथा बाकी भूमि पूर्व की तरह कृषि दरों पर मूल्यांकित की जाएगी। 

- पुराने बने मकानों के मामले में नई व्यवस्था के अनुसार दस से बीस फीसदी पुराने मकान के लिए 10 प्रतिशत इसके आगे प्रत्येक 5 वर्ष के लिए 5 प्रतिशत, अधिकतम 50 फीसदी रहते हुए मूल्य में छूट दी जाएगी। जबकि पूर्व में यह छूट 20 से 50 साल पुराने मकानों के लिए 10 प्रतिशत तथा पचास साल से पुराने मकानों के लिए 20 प्रतिशत थी।
 


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jyoti choudhary

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