यहां दंगों के 4 साल बाद पटरी पर प्रॉपर्टी का कारोबार
Friday, Apr 20, 2018 - 12:23 PM (IST)
मुजफ्फरनगरः 2013 में जिले में हुए दंगों के बाद प्रॉपर्टी का कारोबार ठप्प पड़ गया था। अभी लोग दंगों के दंश से ऊबर भी नहीं पाए थे कि नोटबंदी ने प्रॉपर्टी का कारोबार करने वालों को तोड़ डाला। 4 साल बाद जिला जमीनों की खरीद-फरोख्त में आगे बढ़ा है। हालांकि यह क्रय-विक्रय केवल जरूरतमंद लोगों ने ही किया है।
दंगों से पहले जिले में प्रॉपर्टी का बूम था। सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों और उद्यमियों ने अपनी काली कमाई प्रॉपर्टी में ही खपा रखी थी। शहर के हाइवे पर कई कालोनियों की नींव रखी गई। इसी बीच जिले में दंगे हो जाने से यहां सबसे ज्यादा नुकसान प्रॉपर्टी के कारोबार में लगे लोगों को हुआ।
बाहर के जिन लोगों ने इन्वेस्टमेंट किया था, वह अपना पैसा निकालने में लग गए और औने-पौने दामों में जमीनों की बिक्री की। इसी के साथ रियल एस्टेट में छाई मंदी का भी यह असर हुआ कि प्रॉपर्टी के दाम 30 से 50 प्रतिशत तक लुढ़क गए। इसके बाद नोटबंदी ने ब्लैकमनी को गायब कर दिया तो असर प्रॉपर्टी पर ही पड़ा। लगातार चार साल तक यहां जमीनों की खरीद फरोख्त घटती रही।
लंबे समय बाद जिले में हालात बदलने प्रारंभ हुए है। वर्ष 2017-18 में जिले में 168 करोड़ 61 लाख रुपया राजस्व बैनामों से ही सरकार को मिला है। 2014-15 में बैनामों से जिले में 142 करोड़ का राजस्व आया। 2015-16 में यह घटकर 136 करोड़ रह गया। वर्ष 2016-17 में 123 करोड़ 50 लाख पर आ गया। प्रोपर्टी की बिक्री लगातार कम होने से राजस्व भी लगातार घटता गया।