अपराध को जड़ से उखाड़ने वाले IPS हरिनारायण चारी को लूप लाइन में भेजा, CM पर उठे सवाल

2/12/2019 4:00:34 PM

इंदौर: 2003 के बैच के आईपीएस अफसर की कहानी बेहद दिलचस्प है। ये जिस जिले में जाते हैं वही के हो कर रह जाते हैं, इनका ट्रैक रिकॉर्ड इतना बेहतरीन है कि क्रिकेट के गॉड कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर भी पीछे रह जाएं। आईपीएस ऑफिसर हरिनारायण चारी मिश्रा की जो इन दिनों एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। इस बार सुर्खियों की वजह उनका ट्रांसफर है।

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जन्म तथा शिक्षा
हरिनारायण मिश्रा बिहार के सिवान जिले से हैं। वे वहां अपनी स्कूली शिक्षा ले कर सिवान से बीएचयू आ गए। यहां से इतिहास विषय पर पोस्टग्रेजुएशन में टॉप किया। उसके बाद सिविल सर्विस की ओर कदम बढ़ा दिया और उनका आईपीएस में चयन हो गया। हरिनारायण मिश्रा इकलौते अफसर हैं जो किसी भी विषय पर बेबाक राय रखने के लिए जाने जाते हैं, दर्शन पर भी इनकी गहरी रुचि है ,सरलता सहजता और बेदाग चरित्र ही इस अफसर की पहली पहचान है।

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संजीवनी से मिली जबलपुर में पहचान 
हरिनारायण चारी मिश्रा ने जबलपुर पुलिस अधीक्षक के रूप में रहते हुए यहां नवाचार के रूप में विशेष कार्ययोजना को अंजाम दिया। जबलपुर की पदस्थापना के दौरान एक वक्त ऐसा था जब जबलपुर सुसाइड के मामलों में भारत में नम्बर 1 था। ऐसे में सुसाइड के मामलों में रोकथाम के लिए संजीवनी हेल्पलाइन की शुरुआत की। जिससे लगातार आत्महत्या के मामले कम हुए। इस हेल्पलाइन का असर हर उस जिले में रहा जहां हरिनारायण चारी मिश्रा रहे।

खंडवा में एकता में बंधे धर्म 
खंडवा वो जिला था जिस में सब से ज्यादा धार्मिक उन्माद के मामले आते थे लेकिन मिश्रा ने वहां पर सभी धर्मों को जोड़ कर वो माहौल बनाया जिस से कभी यहां धर्मिक उन्माद नजर नहीं आया। इसके लिए उनको पुरस्कार से भी नवाजा गया।

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बालाघाट में नक्सलियों का सफाया
हरिनारायण चारी मिश्रा ने नक्सल प्रभावित जिले बालाघाट की जब कमान संभाली तो नक्सली यहां हावी थे लेकिन मिश्रा ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए यहां से नक्सलियों का सफाया कर दिया।

ग्वालियर में आतंक और गुंडो का सफाया 
ग्वालियर में एसएसपी रहते हुए हरिनारायण मिश्रा ने गुंडो के खिलाफ अभियान छेड़ा तो वो इंदौर आ कर भी नही थमा। इंदौर में गुंडा राज को खत्म करने के लिए गुंडो को चुन चुन कर जेल भेजा गया। इंदौर में हर एक केस में हरिनारायण मिश्रा को सफलता मिली। भयऊ जी महाराज के केस को भी आसानी से सॉल्व किया।

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इतने शानदार अफसर को पुलिस हेडक्वार्टर में भेजने से सरकार की मंशा पर सवाल उठने लगे हैं, सवाल ये है की आखिर किस वजह से इनको लूप लाइन में भेजा गया? क्या इनकी आक्रमक और ईमानदारी छवि का ही डर था जो कांग्रेस की सरकार आते ही इनको मैदानी पदस्थापना से दूर रखा गया? इसके पहले भी ऋषि कुमार शुक्ला को डीजीपी पद से हटा कर कमलनाथ ने तुगलकी फरमान जारी किया था जो समझ से परे था।


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ASHISH KUMAR

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