मीसाबंदियों ने दी सरकार को हाईकोर्ट में चुनौती
1/15/2019 5:59:04 PM
भोपाल: प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा मीसाबंदियों की पेंशन बंद करने का मामला अब हाईकोर्ट में पहुंच गया है। लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव मदन बाथम ने सरकार के इस आदेश को कोर्ट में चुनौती दी है। याचिका में लिखा है कि देश में इमरजेंसी के दौरान जिन लोगों को जेल में रखा गया था उन्हें यह राशी दी जाती थी। मध्यप्रदेश में 2 हजार 286 परिवार इस सम्मान निधि पर आश्रित हैं और विधानसभा चुनाव के बाद नई सरकार ने दुर्भावनापूर्ण रवैया अपनाते हुए इस पर रोक लगा दी। मदन बाथम की तरफ से दायर की गई याचिका में पेंशन को पहले की तरह बहाल करने का अनुरोध किया गया है।
याचिका में बाथम ने लिखा है कि 'लोकतंत्र सेनानियों को सम्मान निधि दिए जाने के लिए मध्यप्रदेश विधानसभा में विधेयक पारित हुआ था। उसी के पालन में यह सम्मान निधि मिलती आई है। इसे प्रशासनिक आदेश से रोका नहीं जा सकता, लेकिन मौजूदा सरकार ने ऐसा ही किया है। यह पेंशन नहीं, बल्कि सम्मान निधि है और एमपी में लोकतंत्र सेनानियों को यह सम्मान निधि 20 जून 2008 से मिल रही है। सेनानियों को इसे लेते हुए 10 साल से अधिक समय हो चुका है और सरकार इसे इस तरह रोक नहीं सकती।'
बता दें कि कमलनाथ सरकार ने मीसा बंदी पेंशन योजना पर अस्थाई तौर पर रोक लगाई है। मीसा बंदियों की जांच कराने के बाद सरकार इसे फिर से शुरू करेगी। वर्तमान में कुल 2,286 मीसाबंदी 25 हजार रुपए मासिक पेंशन ले रहे हैं। 2008 में शिवराज सरकार ने मीसा बंदियों को 3000 और 6000 पेंशन देने का प्रावधान किया। इसके बाद पेंशन में बढ़ोत्तरी कर इसे 10,000 किया गया। वहीं 2017 में मीसा बंदियों की पेंशन राशि बढ़ाकर 25,000 रुपये की गई।