सेब की टहनियां जलाकर वायु में जहर घोल रहे कुछ बागवान, जानिए कारण

punjabkesari.in Sunday, Dec 09, 2018 - 11:12 AM (IST)

शिमला (देवेंद्र): प्रदेश के बागवान जाने-अनजाने वायु मंडल में जहर घोल रहे हैं। ऊपरी शिमला समेत प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में इन दिनों सेब के पौधों की काट-छांट (प्रूनिंग) का काम चल रहा है। प्रूनिंग के दौरान निकलने वाली टहनियों और सेब के पौधों से झड़ी हुई पत्तियों को बागवान बगीचों में जला रहे हैं, जिससे चारों ओर धुआं ही धुआं नजर आ रहा है। वायु मंडल में धुआं घुलने से विजिबिलिटी भी कम हो गई है। प्रदेश में ऐसी स्थिति से बचने के लिए बागवानों को खुले में टहनियां जलाने से बचना होगा। 

इनका इस्तेमाल बागवान सर्दियों में चूल्हे में सेंकने या फिर खाना बनाने के लिए कर सकते हैं। दिल्ली में भी इन दिनों वायु प्रदूषण पंजाब व हरियाणा के किसानों द्वारा धान की पराली जलाने के कारण ज्यादा गंभीर बनी हुई है। प्रदेश में सेब की टहनियां जलाकर बागवान देश एयर एक्ट-1987 और राज्य के ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन एक्ट-2016 का उल्लंघन कर रहे हैं। कुछ साल पहले तक देश में हिमाचल की आबोहवा सबसे बेहतर मानी जाती थी लेकिन औद्योगिकीकरण बढ़ने के बाद बद्दी, बरोटीवाली व नालागढ़ जैसे शहरों मेंभी सांस लेना मुश्किल हो गया है।

खुले में सेब की टहनियां जलाना अपराध

खुले में सेब की टहनियां जलाना अपराध है। इससे पर्यावरण को नुक्सान होता है। बागवानों को चाहिए कि छोटी टहनियों को गड्ढे में इकट्ठा करके इसकी खाद तैयार करें। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इसे लेकर कमेटी का गठन किया है।

हर साल 12 लाख लोगों की प्रदूषण के कारण जाती है जान

विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 12 शहर भारत के हैं। प्रदूषण के कारण दिल्ली में ही हर रोज औसतन 80 लोगों की जान जाती है। भारत में हर साल प्रदूषण के कारण 12 लाख लोगों की जान जाती है, ऐसे में प्रदूषण को कम करके इस वजह से होने वाली मौतों को कम किया जा सकता है। अच्छी बात यह है कि प्रदेश में अभी यह स्थिति नहीं है। इससे बचने के लिए बागवानों के साथ-साथ सभी लोगों को जागरूक होना होगा।



 


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Ekta

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