स्मॉग की गर्त में फंसा फगवाड़ा, ठंडी हवाओं में है जहरीला प्रदूषण

punjabkesari.in Wednesday, Nov 14, 2018 - 12:57 PM (IST)

फगवाड़ा(जलोटा): नवम्बर माह की सर्द होती फिजाओं में चारों तरह स्मॉग छाई हुई है। सर्दी के इस शुरूआती मौसम में जहां कुछ वर्ष पूर्व मीठी सर्द फिजाओं का लुफ्त देखते ही बनता था। वर्तमान में आलम यह हो गया है कि सुबह की पहली किरण से लेकर रात ढलने तक फगवाड़ा में सब जगहों पर धुएं की सफेद धुंध की चादर ही दिखाई देती है। जारी खतरनाक घटनाक्रम के चलते जहां दमे, खांसी के रोगियों को सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, वहीं प्रदूषण से त्रस्त स्मॉग की मैली सफेद चादर हृदय रोग से ग्रस्त रोगियों के लिए जानलेवा स्वीकारी जा रही है। 

जानकारों की राय में स्मॉग का जहर सुबह और शाम को सबसे ज्यादा जहरीला होता है अर्थात जो लोग सुबह और शाम की सैर करते हैं उनके लिए फगवाड़ा की फिजाएं स्वास्थ्य लाभ की दृष्टि के विपरीत बेहद हानिकारक हैं। बहरहाल फगवाड़ा में २4 घंटे छाई हुई जहरीली स्मॉग की काली सच्चाई यह भी बनी है कि इलाके में धान की फसल काटने के बाद खेतों में बची पराली को आग लगाने का क्रम बदस्तूर जारी है। इसे लेकर सरकारी स्तर पर न तो कोई खास रोक-टोक देखने को मिली है और न ही कोई ऐसी पहल होती दिखाई दी है, जहां खेतों में पराली को आग न लगे, अर्थात आने वाले दिनों में फगवाड़ा में स्मॉग के कारण बनी हुई जहरीली फिजाएं और बदतर रूप धारण करेंगी और सर्दी के बढ़ते प्रकोप के मध्य सर्द होती हवाएं विषैले दंश के साथ हर उस आम व खास इंसान के स्वास्थ्य को खराब करेंगी जो बने हुए हालात में खुली हवा में सांस लेगा।

लोगों ने हैरानी जताते हुए कहा कि सबसे ज्यादा हैरानी तब होती है जब फगवाड़ा सहित पूरे पंजाब में जहर बन चुकी हवाओं और चारों तरफ फैली स्मॉग से बेपरवाह पंजाब सरकार व जिला, तहसील स्तर पर कार्यरत सरकारी अमला पूरी तरह से चुप्पी साधे हाथ पर हाथ धरे हुए बैठा है। इस दिशा में यदि समय रहते बड़ी पहल नहीं हुई तो वो दिन दूर नहीं है जब फगवाड़ा सहित पूरे पंजाब में इतना जहरीला प्रदूषण होगा कि इंसान का जीवन यापन करना भी दूभर हो जाएगा। 


पंजाब में फैला प्रदूषण नई दिल्ली की हवाओं के मुकाबले कहीं ज्यादा  
स्मॉग के छाए रहने संबंधी कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि इसका मूल कारण नवम्बर महीने व इससे पूर्व किसानों द्वारा प्रदेश में धान की फसल की कटाई के बाद खेतों को लगाई जाती आग और औद्योगिक इकाइयों, वाहनों, दीवाली के मौके पर फोड़े गए पटाखों आदि से निकलता बेहिसाब प्रदूषण है। अनेक लोगों ने पंजाब केसरी द्वारा शुरू की गई उस पहल की जमकर सराहना की जिसके तहत रोजाना पंजाब केसरी में हवा में फैले प्रदूषण के आंकड़ों का आंकलन कर विस्तार सहित प्रकाशित किया जा रहा है। फगवाड़ा वासियों ने कहा कि वे रोजाना पंजाब केसरी में पंजाब की जहर बन रही हवाओं की सटीक जानकारी पढ़ते हैं। वे दंग हैं कि पंजाब के जालंधर, लुधियाना और अन्य कई शहरों में हवा में फैले प्रदूषण का स्तर कई मौकों पर देश की राजधानी नई दिल्ली की हवाओं के मुकाबले कहीं ज्यादा आंका जाता रहा है।


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swetha

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