विदेशी जेलों में बिखर रहे भारतीयों के सुनहरे सपने

punjabkesari.in Monday, Oct 15, 2018 - 10:38 AM (IST)

जालंधर (रविंदर): सुनहरे सपनों की उड़ान में विदेशी धरती पर पांव रखते ही सलाखों के पीछे पहुंचने वाले पंजाबी नौजवानों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। डालर व पौंड की चमक में अपने परिवार की किस्मत संवारने की उम्मीद में निकले 1859 पंजाबी इस समय अलग-अलग देशों की जेलों में नारकीय जीवन गुजारने के लिए मजबूर हैं। 

केंद्रीय गृह मंत्रालय व पासपोर्ट आफिस के आंकड़ों के मुताबिक इस समय विदेशी जेलों में अपनी जिंदगी बर्बाद करने वालों में पंजाबी युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा है। दोआबा क्षेत्र के 4 जिलों जालंधर, नवांशहर, होशियारपुर और कपूरथला से गए ये लोग अपने सुनहरे सपनों को जेल की सलाखों के पीछे हर पल टूटते देख रहे हैं। विदेशी जेलों में बंद 1859 पंजाबियों में से 1215 इन्हीं 4 जिलों से संबंध रखते हैं। अकेले जालंधर से ही अवैध रूप से ट्रैवल एजैंटों के हत्थे चढ़कर विदेशी जेलों में पहुंचने वाले युवाओं की संख्या 457 है। इसके बाद होशियारपुर जिले के 321, नवांशहर जिले के 308 और कपूरथला जिले के 129 नौजवान जेलों में बंद हैं। इनकी रिहाई उन देशों के साथ भारत सरकार के रिश्तों पर निर्भर करती है। आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान व अमरीका की जेलों में बंद पंजाबी युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा है।

इनके अलावा यू.ए.ई., श्रीलंका, इंगलैंड, मोरक्को, इटली, फ्रांस व पुर्तगाल की जेलों में भी पंजाबियों की संख्या काफी है। सरकारी आंकड़ों के अलावा हजारों पंजाबी कई अन्य देशों की जेलों में बंद हैं या जंगलों की खाक छान रहे हैं। इसके बारे में सरकार के पास फिलहाल कोई जानकारी नहीं है। पता चला है कि पंजाब व हरियाणा के 63 युवक मलोलिया टापू पर ओपन जेल में बंद हैं। लगभग 250 पंजाबी मोरक्को में फंसे हैं। सरकार के लाख शिकंजा कसने के बावजूद अभी भी फर्जी ट्रैवल एजैंटों की संख्या लाइसैंसशुदा ट्रैवल एजैंटों से ज्यादा है। ये धोखे से मोटी रकम लेकर युवकों को अवैध तरीके से दूसरे देश का बार्डर पार कराने का बीड़ा उठाते हैं। पंजाब सरकार की ओर से भी अब ऐसे लोगों की लिस्ट बनाई जा रही है ताकि विदेशी धरती पर फंसे ऐसे पंजाबियों की घर वापसी के लिए केंद्र सरकार की मदद ली जा सके। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का कहना है कि केंद्र सरकार कई देशों की जेलों से युवाओं को भारत लाने के लिए समझौते की दिशा में प्रयासरत है। सऊदी अरब, यू.ए.ई., हांगकांग व श्रीलंका खुद इस समझौते के लिए तैयार हैं। 
 


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