किसानों ने धान की फसल को सुखाने के लिए फड़ पर बिखेरा

punjabkesari.in Friday, Oct 12, 2018 - 01:39 PM (IST)

सुल्तानपुर लोधी (धीर): धान की फसल को सुखाकर मंडियों में लेकर आने के बावजूद भी उसमें से नमी की मात्रा कम करने के लिए उनको मंडी में सड़कों व फड़ों में सुखाने के लिए कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिस कारण किसान व आढ़ती दोनों ही परेशान हैं। मंडी में फसल लेकर आए किसान सूरत सिंह मिआणी बहादुर, जसविन्द्र सिंह गोपीपुर, जतिन्द्रजीत सिंह फत्तोवाल, बलदेव सिंह फत्तोवाल, रछपाल सिंह मिआणी बहादुर, दिलबाग सिंह ने बताया कि पूरी तरह सुखाकर फसल मंडी में लेकर आए हैं लेकिन धान में 19 प्रतिशत नमी की मात्रा आने कारण कोई भी खरीद एजैंसी इसको खरीद नहीं रही है, जिससे मजबूर होकर फसल को फड़ पर बिखेरना पड़ रहा है। 

ऊपर से मौसम भी आज पूरा साफ न होने कारण धूप नहीं लग रही व नमी की मात्रा कम नहीं हो रही। जिस कारण आढ़ती व मजदूर भी परेशान हैं। मजदूरों को जहां बार-बार मेहनत करनी पड़ रही है, वहीं आढ़तियों को भी बार-बार धान की नमी चैक करनी पड़ रही है। किसानों ने कहा कि यह सब कुछ बीते कुछ दिन पहले बारिश व मौसम में आई अचानक तबदीली कारण हुआ है। अगर केंद्र सरकार किसानों की समस्याओं को सही तरीके से हल करना चाहती है तो उसको धान में नमी की मात्रा 17 से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर देनी चाहिए ताकि किसानों को मंडियों में परेशान न होना पड़े। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने वायदे तो बहुत किए थे लेकिन हकीकत में कोई भी पूरा नहीं हुआ। 

क्या कहते आढ़ती : इस संबंधी आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष व खुद किसान सुरिन्द्रजीत सिंह ने कहा कि पहले तो केंद्र सरकार को धान की फसल में नमी से छूट देनी चाहिए व दूसरा धान लगाते समय जो तारीख निश्चित की है उसको कम से कम 10 दिन पहले करना चाहिए क्योंकि इन दिनों में मौसम भी अचानक खराब हो जाता है जिस कारण धान में नमी की मात्रा नहीं जाती। किसान फसल को मंडी में लेकर आता है तो फिर कोई भी एजैंसी उसकी खरीद नहीं करती। उन्होंने बताया कि धान की फसल से मक्की की फसल में पानी की अधिक खपत होती है। कोई भी कानून अधिकारियों को ए.सी. कार्यालयों में बैठकर बनाने की बजाय फील्ड में सही हकीकत देखकर बनाना चाहिए। 
 


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