वक्फ बोर्ड का खसरा नं. 3046 मैनेज होना शुरू

punjabkesari.in Wednesday, Sep 26, 2018 - 10:46 AM (IST)

जालंधर (खुराना): पिछले काफी समय से नकोदर रोड पर घई फर्नीचर के निकट और अग्रवाल सैनीटेशन के सामने पड़ती वक्फ बोर्ड की भूमि विवादों में घिरी हुई है परन्तु अब जिस तरह के हालात बनते दिख रहे हैं, उससे अंदाजा लग रहा है कि वक्फ बोर्ड का खसरा नं. 3046 मैनेज होना शुरू हो गया है।

गौरतलब है कि वक्फ बोर्ड इस स्थान पर अपनी 16 कनाल से ज्यादा भूमि होने का दावा करता रहा है परन्तु ’यादातर भूमि अलॉटमैंट या अन्य प्रक्रियाओं से कब्जे के तहत है। वहां 2 खाली प्लाटों में से एक प्लाट पर मल्टीस्टोरी कमर्शियल बिल्डिंग कुछ ही दिनों में तैयार कर दी गई और गीले प्लस्तर पर रंग-रोगन भी करवा दिया गया। इस बिल्डिंग को लेकर भी वक्फ बोर्ड ने ऐतराज किया था परन्तु बाद में यह ऐतराज ढीला पड़ता गया। देखा-देखी इसी बिल्डिंग के साथ खाली प्लाट में भी निर्माण शुरू हो गया, जिसे लेकर वक्फ बोर्ड अधिकारियों का दावा है कि यह पूरा प्लाट खसरा नं. 3046 के तहत आता है। 10 मरले का यह प्लाट 3 करोड़ से ज्यादा लागत का है क्योंकि इस स्थान पर भूमि का बाजार मूल्य 30 लाख रुपए प्रति मरला के करीब है। इस प्लाट पर अपना दावा जताने और निर्माण रुकवाने हेतु वक्फ बोर्ड के अधिकारी डी.सी. और पुलिस कमिश्रर तक भी गए परन्तु सब कुछ औपचारिकता साबित हुआ।

इस खाली प्लाट में बिल्डिंग निर्माण को लेकर जब निगम कमिश्रर से शिकायत की गई तो बिल्डिंग इंस्पैक्टर नवजोत दुग्गल का कहना था कि इस जगह का नक्शा पास है। अब सवाल यह है कि अगर वक्फ बोर्ड खसरा नं. 3046 को अपनी भूमि बताता है तो निगम ने इस भूमि पर नक्शा कैसे पास कर दिया और भूमि की मालिकी संबंधी क्या कागजात निगम के पास हैं। इस सारे मामले की जल्द ही विजीलैंस को शिकायत होने जा रही है। अगर निष्पक्ष जांच हुई तो इस मामले में जिला प्रशासन (जिनके निर्देशों पर पूरे क्षेत्र की निशानदेही हुई), रैवेन्यू तथा नगर निगम के अधिकारी फंस सकते हैं अगर उन्होंने गलत दस्तावेजों के आधार पर निर्माण की अनुमति दी हुई होगी।
सूत्रों से यह भी पता चला है कि वक्फ बोर्ड की इस बेशकीमती भूमि विशेषकर खसरा नं. &046 को मैनेज करने के लिए एक बैठक करीब एक माह पहले गुजराल नगर में एक प्रॉपर्टी कारोबारी के आफिस में हुई जहां इस भूमि का खरीदार एक और प्रापर्टी डीलर, एक सैनेटरी व्यापारी, एक फोटोग्राफर, बेकरी प्रतिनिधि, एक एन.आर.आई. और अन्य उपस्थित हुए। इस बैठक दौरान वक्फ बोर्ड तथा अन्य विभागों को मैनेज करने के तरीकों पर विचार हुआ, जिसमें कई पक्षों ने आॢथक सहयोग डाला। माना जा रहा है कि जिस प्रकार इस बेशकीमती भूमि पर वक्फ बोर्ड का दावा कमजोर होता दिख रहा है, वह इसी बैठक का परिणाम है।


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