कोई भी चीज विनम्रता से शक्तिशाली नहीं

punjabkesari.in Wednesday, Sep 26, 2018 - 04:31 AM (IST)

हालांकि जिस पार्क में मैं सैर करता हूं वहां पर नोटिस बोर्ड लगाए गए हैं, फिर भी मैंने देखा कि एक भद्र पुरुष गलत दिशा में सैर कर रहे थे। ‘‘क्या आपको बोर्ड दिखाई नहीं देता?’’ मैंने गुस्से से पूछा। ‘‘क्यों, क्या आप आंखों के डाक्टर हैं?’’ व्यक्ति ने पूछा और मुझे एहसास करवा दिया कि मैं उन्हें सही करने में कितनी सख्ती बरत रहा था। फ्रैडरिक फेबर कहते हैं, ‘‘विनम्र तरीके से सही शब्द कहने की कला ऐसी है जो कभी भी फैशन से प्रचलित नहीं होती, न ही यह किसी को खुश करने से रुकती है।’’ 

एक कहानी है कि कैसे जॉन वेसले ने अपनी अनगिनत यात्राओं में से एक में पाया कि वह एक सेना अधिकारी के साथ बग्घी सांझी कर रहे थे। उनकी बातचीत हल्की-फुल्की तथा रुचिकर थी मगर अधिकारी का योगदान कड़े शब्दों तथा परमात्मा की निंदा करने वाला था। विनम्र वेसले उसकी भाषा को लेकर बहुत परेशान थे मगर उन्होंने प्रयास किया कि उनकी नाखुशी जाहिर न हो। जब वे कोच के घोड़े बदलने के लिए रुके तो वेसले ने अधिकारी के साथ कुछ बात करने का अवसर पा ही लिया। 

‘‘मुझे आश्चर्य होगा यदि मैं आपसे एक मदद मांगूं।’’ वेसले ने पूछा। ‘‘हम कुछ दूरी एक साथ तय करेंगे और यदि मैं खुद को भूल जाऊं और महिलाओं के सामने कड़े शब्दों का इस्तेमाल करूं तो संभवत: आप मुझे सही कर देंगे?’’अधिकारी ने तुरंत समझ लिया और वेसले का सुधार करने का तरीका बिल्कुल सही काम कर गया। यह एक विनम्रता थी जो काम कर गई। एक और छोटी सी कहानी है जो आपने अपनी मां के घुटनों पर सिर रखकर जरूर सुनी होगी मगर फिर भी मैं इसे आपके सामने दोहराना चाहूंगा क्योंकि इसमें एक सबक छिपा है। 

हवा तथा सूर्य में एक बार झगड़ा हो गया। हवा ने डींग हांकी कि वह सूर्य से कहीं अधिक ताकतवर है। उसने कहा, ‘‘मैं दिखाऊंगी कि कौन ताकतवर है, मोटा कोट पहने हुए उस व्यक्ति को देखो। मैं शर्त लगाकर कह सकती हूं कि मैं उस व्यक्ति को तुमसे पहले उस कोट को उतारने के लिए मजबूर कर सकती हूं।’’ ‘‘ठीक है,’’ सूर्य ने कहा, ‘‘हम देखते हैं।’’ इसके बाद सूर्य एक बादल के पीछे छिप गया मगर यह देखने के लिए कि हवा क्या करती है, एक छोटा-सा छेद छोड़ दिया। हवा तेज चलने लगी और उतनी तेजी से चली जितनी वह चल सकती थी, जिस कारण एक जबरदस्त तूफान शुरू हो गया मगर जितनी तेजी से वह चलती, उतना ही वह बूढ़ा व्यक्ति कोट को अपने ऊपर कस लेता। आखिर में बेचारी हवा थक गई और रुक गई। ‘‘तुम्हारी बारी,’’ हवा ने हांफते हुए कहा, ‘‘कुछ भी करना असंभव है।’’ 

सूर्य बादल के पीछे से बाहर आ गया और उस बूढ़े व्यक्ति के ऊपर अपनी धूप के साथ मुस्कुराया। कुछ ही देर बाद बूढ़ा व्यक्ति अपने माथे को पोंछने लगा, सूर्य और भी खुशी के साथ चमकने लगा और व्यक्ति ने अपना कोट खींचकर उतार दिया। सूर्य ने हवा को विनम्रता से हरा दिया...! बकौल सेंट फ्रांसिस- ‘‘...कोई भी चीज विनम्रता से शक्तिशाली नहीं है, कुछ भी असल ताकत जितना नम्र नहीं...’’ इसलिए सीखने को बहुत कुछ है...!-राबर्ट क्लीमैंट्स


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Pardeep

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