अर्जुन अवार्ड के लिए दो साल कोर्ट में लड़ी लड़ाई, आखिर में मिला यह सिला

punjabkesari.in Sunday, Sep 23, 2018 - 11:38 AM (IST)

सोनीपत(ब्यूरो): अर्जुन अवाॅर्ड के हकदार विश्व चैंपियन पैरा एथलीट राजकुमार को मिल ही गया, जिसे पाकर वे खुश होने की बजाए दुखी नजर अाए क्योकि ये अवॉर्ड उन्हें किसी समारोह में हजारोंं लोगों की भीड़ के सामने अाकर नहीं मिला। बल्कि एक बंद कमरे मिला, जिसे पाने के लिए राजकुमार ने दो साल तक कोर्ट के चक्कर लगाए।   
PunjabKesari
चैंपियन राजकुमार का कहना है कि बचपन में जिस टूटे हाथ के कारण लोगों के ताने सुनने पड़े, लेकिन बड़े हुए तो बढ़ते हौसले के साथ देश को पैरा बैडमिंटन में तीन बार विश्व चैंपियन बनाया। एशियाई खेल में देश को मेडल दिलाए, लेकिन हकदार होने के बाद भी 2016 और 2017 में उन्हें अर्जुन अवाॅर्ड नहीं दिया गया। सोनीपत में एशियाई खेलों की तैयारी में जुटे राजकुमार ने बताया कि अर्जुन अवाॅर्ड के लिए मेरे सबसे ज्यादा अंक थे, लेकिन मुझे नहीं दिया।

इस मामाले में खेल अधिकारी से लेकर खेल मंत्री तक से अपील की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। मजबूरी में दिल्ली हाईकोर्ट गए। राजकुमार ने कहा कि विपक्षी खिलाड़ियों को शिकस्त देने में इतनी तकलीफ नहीं हुई जितनी खेल विभाग व कोर्ट से झेलनी पड़ी। मुझे तोड़ने की कोशिश हुई, लेकिन कभी हार नहीं मानी। इसे भी अपने करियर की एक बड़ी प्रतियोगिता के रूप में लड़ते रहे और 2016 के अवाॅर्ड को 2018 में हासिल कर लिया।
PunjabKesari
ऐसा है अंक देने का गणित
ओलिंपिक खेलों, एशियाई खेलों व राष्ट्रमंडल खेलों और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय चैपियनशिप में जीते गए पदकों को पुरस्कार चयन में 90 फीसदी वेटेज का प्रावधान है। 4 वर्ष में एक बार होने वाली विश्व चैंपियनशिप और विश्वकप में स्वर्ण रजत और कांस्य पदक के लिए क्रमश 40, 30 और 20 अंक का प्रावधान है। एशियाई खेलों में अंकों का यह क्रम 30, 25 और 20 होगा, राष्ट्रमंडल खेलों में 25, 20 और 15 होगा। दो वर्ष में होने वाली या हर वर्ष होने वाली विश्व चैंपियनशिप एवं विश्वकप के लिए अंकों की संख्या 25, 20 और 15 होगी। एशियाई चैंपियनशिप में यह आंकड़ा 15, 10 और 7 का होगा जबकि राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप में भी आंकड़ा 15.10 और 7 होगा।
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Deepak Paul

Recommended News

Related News

static