खाने से पहले सोचें, आपके हार्ट को फेल कर सकती है छोटी सी गोली - Nari

punjabkesari.in Wednesday, Sep 19, 2018 - 02:59 PM (IST)

हर घर में एस्प्रिन की दवाई आम मिल जाती है। इससे शरीर का दर्द,सिर दर्द आदि से छुटकारा पाने में कारगर मानी जाती है। मेडिकल सोसाइटिज स्ट्रोक या हार्ट अटैक जैसी दिल की बीमारियों को रोकने के लिए ऐस्पिरिन की सलाह देती है। हाल ही में शोध में यह बात सामने आई है कि इससे परेशानी कम होने की बजाए बढ़ जाती है। ऑस्ट्रेलिया में हुए एक शोध में कहा गया है कि रोजाना एस्प्रिन लेने से मृत्यु, अपंगता या दिल की नसों से संबंधित बीमारी का खतरा कम नहीं होता। करीब 5 साल तक चले ऑस्ट्रेलिया के इस सबसे बड़े क्लीनिकल ट्रायल के नतीजे सोमवार को सार्वजनिक किए गए। 

 

डॉक्टरों को मिलेगी मदद 
मोनाश यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के एस्प्रिन इन रिड्यूसिंग इवैंट्स इन द एल्डर्सीः एस्प्री नामक शोध में लगभग 19,000 लोगों को शामिल किया गया था। अध्ययन में इससे धीरेे-धीरे खून बहने का खतरा बढ़ने का खुलासा हुआ। यूनिवर्सिटी में एपिडैमियोलॉजी एंड प्रिवैंटिव मैडिसिन विभाग के प्रमुख जॉन मैकलीन ने कहा कि शोध लंबा चला और उन्हें उम्मीद है कि नतीजों में एस्प्रिन की सलाह देने वाले डॉक्टरों को सहायता मिलेगी। 


स्वस्थ रहने के लिए एस्प्रिन लेना सही या नहीं
मैकलीन ने कहा कि एस्प्रिन 100 वर्ष से भी ज्यादा समय से मौजूद होने के बावजूद हमें नहीं पता था कि यह दवाई लेनी चाहिए या नहीं। मैकलीन ने कहा कि दर्द निवारक दवाओं में एस्प्रिन का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है। इस सवाल का जवाब विशेषज्ञ लंबे समय से तलाश कर रहे थे और एस्प्री ने इसका जवाब दिया है। 

 

बचपन में सर्दी-बुखार होने पर पैरासीटामोल खाना घातक
सर्दी-बुखार में खाई जाने वाली आम दवा पैरासीटामोल बच्चों के लिए घातक साबित हो सकती है। करीब 620 बच्चों पर किए ताजा शोध से पता चला है कि 2 साल की उम्र तक इस दवा का सेवन करने वाले बच्चे 18 साल की उम्र में अस्थमा जैसी गंभीर बीमारी का शिकार हो रहे सकते हैं। खासकर ऐसे बच्चे जिनमें ग्लूटाथियोन एस-ट्रांसफेरेज (जी.एस.टी) जीन का एक विशेष प्रकार जी.एस.टी.पी-1 पाया जाता है, इनमें फेफड़े की इस बीमारी से प्रभावित होने का खतरा ज्यादा पाया जाता है। हालांकि शोधकर्ताओं का कहना है कि अभी सिर्फ पैरासीटामोल और अस्थमा के सबंध का पता चला है।

 

लिहाजा अभी यह नहीं कहा जा सकता है कि पैरासीटामोल के सेवन के कारण ही अस्थमा होता है। बरहाल, इतना तो तय है कि पैरासीटामोल शरीर में मौजूद ग्लूटाशियोन का खात्मा कर देता है।
 

फेफड़ों का जहर साफ करता है ग्लूटाशियोन
शोधकर्ताओं के अनुसार फेफड़े को जहरीले तत्वों से निजात दिलाने में ग्लूटाशियोन का अहम योगदान है क्योंकि जी.एस.टी जीन के निर्देश पर ही शरीर में ऐसे अंजाइम बनते है जो ग्लूटाशियोन का इस्तेमाल कर शरीर और खासकर फेफड़ों से जगरीले तत्वों का सफाया करता है। इससे फेफड़ों में सूजन नहीं होती और कोशिकाओं क्षति नहीं पहुंचती है।


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Content Writer

Priya verma

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