इस कुंड में नहाने से महिलाओं की भर जाती है गोद, बच्चे की चाह रखने वाले जरूर पढ़ें यह खबर

punjabkesari.in Saturday, Sep 15, 2018 - 11:50 AM (IST)

वाराणसीः धर्म की नगरी काशी में भगवान सूर्य का पर्व लोलार्क छठ बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। इस अवसर पर दूर-दूर से आए बड़ी संख्या में महिलाओं और पुरुषों ने संतान की कामना से भदैनी स्थित लोलार्क कुंड में आस्था की डुबकी लगाई। वाराणसी में स्थित लोलार्क कुंड काफी प्राचीन है और इसकी खासी मान्यता है जिसके चलते दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आते हैं। इस कुंड को सूर्य कुंड भी कहा जाता है। इस कुंड से कई मान्यता जुड़ी हैं, आइए हम आपको बताते हैं इस कुंड से जुड़ी कुछ बातें। 

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पौराणिक मान्यता के अनुसार यह कुंड आदि काल से यहां पर स्थित है। पांचों पांडवों ने और भगवान कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न ने भी यहां पर स्नान किया था। कहा यह भी जाता है कि इस कुंड को भगवान भास्कर का वरदान प्राप्त है और यही शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं। आस्था की नगरी में लोलार्क कुंड सूर्य के बारह आदित्यों में से प्रथम लोलार्क आदित्य यही स्थापित है।

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कहा यह भी जाता है कि इस लोलार्क कुंड का संपर्क अन्दर गंगा नदी से भी है। इसके अलावा इस कुंड में स्नान करने और यहां फल छोड़ने से भगवान सूर्य की कृपा होती है। साथ ही संतान रत्न की प्राप्ति होती है। आज ही के दिन यहां लौकी जैसे फल भी छोड़े जाते है और जिस फल को छोड़ा जाता है उसे खाया नहीं जाता जिसके पीछे ये मान्यता है कि फल को छोड़ने से संतान रूपी फल की प्राप्ति होगी। जिनकी मनोकामना यहां पूरी हो जाती है वो यहां अपने बच्चों का मुंडन करवाते हैं और दान-करते हैं। यहां की एक और खास बात है कि यहां श्रद्धालु जिन कपड़ों में स्नान करते हैं उन वस्त्रों को यहीं छोड़ना पड़ता है और कुंड से स्नान के बाद पीछे मुड़ कर नहीं देखा जाता।

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मान्यता के अनुसार कुंड में स्नान कर दंपति भगवान सूर्य से मनोवांछित फल की कामना करते हैं। जिनको संतान का सुख नहींं मिल पाता वो पति पत्नी यहां आकर एक साथ इस कुंड में स्नान करने के बाद भगवान लोलार्क की आराधना करते हैं, तो उनको संतान का सुख जरुर मिलता है। संतान की कामना से ही यहां श्रद्धालु देश के कोने-कोने से खींचें चले आते हैं 


 


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Ruby

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