पांडवों के अज्ञातवास से जुड़ा ये मंदिर बना आस्था का केंद्र, पढ़ें खबर

punjabkesari.in Saturday, Aug 18, 2018 - 04:44 PM (IST)

सुजानपुर: हमीरपुर जिला मुख्यालय से करीब 7 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम पंचायत जोलसप्पड़ के जसकोट गांव में पांडवों द्वारा अज्ञातवास के दौरान बनाया गया शिव पौराणिक मंदिर आज आस्था का केंद्र बन चुका है। कहते हैं कि पांडव अज्ञातवास के दौरान यहां ठहरे थे, तब उन्होंने शिवलिंग की स्थापना की थी। उसके बाद कारीगरों ने इस पौराणिक मंदिर को बनाने के लिए 12 वर्ष लगा दिए थे। मंदिर कमेटी प्रधान चमकौर सिंह भुट्टो ने बताया कि जब यातायात का कोई साधन नहीं था, तब हमीरपुर से होशियारपुर पैदल आने-जाने के लिए यही मार्ग था। हाथी, घोड़े व ऊंट इसी मार्ग से आते-जाते थे। उन्होंने बताया कि हर कोई पैदल आने-जाने वाला यहां पर विश्राम करता था। राजा-महाराजा यहां पर खानपान करने के साथ-साथ शिकार भी खेलते थे। उन्होंने बताया कि वर्ष 2002 से पहले यह मंदिर खंडहर बना हुआ था, फिर इस मंदिर में कमेटी का गठन किया गया। कमेटी के सदस्यों ने इस खंडहर मंदिर का जीर्णोद्धार किया।

2 गांवों की प्यास बुझाता है तालाब
इस मंदिर परिसर में एक तालाब है जिससे पंचायत के 2 गांवों लंबोट व जोलसप्पड़ को पानी की सप्लाई 24 घंटे दी जाती है। इस मंदिर में 40 वर्ष बाबा बाणा गिर रहकर गए, फिर उन्होंने समाधि ले ली। अब बीते 4 वर्षों से माधवानंद सरस्वती व उनके सहयोगी वेदपाल मंदिर की देखरेख करते हैं।

19 अगस्त को होगा भंडारा
वर्ष 2002 में इस मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए कमेटी सदस्य मुंशी राम ने 50,000 रुपए दान किए थे। अब तक मंदिर में 2 बड़े हाल बन चुके हैं। रसोईघर के अलावा श्रद्धालुओं के आराम करने के लिए टीन का शैड बनाया जा चुका है। कमेटी सदस्य गिरधारी लाल चोपड़ा ने बताया कि मंदिर सड़क मार्ग का कार्य जल्द शुरू किया जाएगा। जसकोट शिव मंदिर कमेटी प्रधान व सदस्यों ने बताया कि हर वर्ष शिवरात्रि को यहां पर भंडारे का आयोजन किया जाता है। अभी 19 अगस्त को भंडारा आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मंदिर में श्रद्धालुओं के बैठने के लिए 2 बड़े हाल बनाए गए हैं।


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Vijay

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