जान जोखिम में डाल नदी किनारे अपने आशियाने बनाने को मजबूर लोग

punjabkesari.in Friday, Jul 13, 2018 - 01:27 PM (IST)

मानपुरा : बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ विकास प्राधिकरण द्वारा बी.बी.एन. में 600 के करीब अवैध कब्जाधारकों को तो नोटिस जारी कर दिए गए हैं परन्तु बालद नदी के किनारे सरकारी भूमि पर कब्जा जमा कर बैठे सैंकड़ों झुग्गी-झोंपड़ी वालों को जो कभी भी नदी के बहाव की भेंट चढ़ सकते हैं, के बारे में कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है। आलम यह है कि अकेली बालद नदी के किनारे कोटला से लेकर हरियाणा बॉर्डर तक 500 से ज्यादा झुग्गियां लगी हुई हैं व लक्कड़ डिपो के पास तो हीर गुज्जरों ने पक्का डेरा जमाया हुआ है। 2 दिन पहले हुई तेज बारिश से पानी का बहाव एकाएक बढ़ गया था व यहां झुग्गियों में पानी घुस गया था।

बरसात के दिनों में बालद नदी में कभी भी पानी का बहाव बढ़ जाता है व 3 साल पहले इसी बालद नदी में लक्कड़ डिपो के पास पानी पुल के ऊपर से क्रॉस कर गया था। अगर इस बरसात में भी ऐसी परिस्थितियां पैदा हेाती हैं तो इस नदी के किनारे झुग्गियां लगाकर बैठे प्रवासी कामगारों व हीर गुज्जरों को जानमाल का भारी नुक्सान सहना पड़ सकता है। ङ्क्षहद मजदूर सभा के प्रदेशाध्यक्ष मेला राम चंदेल, इंटक  के प्रदेश अध्यक्ष बबलू पंडित, भामसं के जिला अध्यक्ष मेहुल मेहता, राजू भारद्वाज व हरबंस राणा समेत अनेक लोगों का कहना है कि बी.बी.एन. के उद्योगों में निर्माण कार्यों व उत्पादन समेत हरेक कार्य में अहम भूमिका निभाने वाले इन प्रवासी कामगारों के रहने के लिए सरकार कोई व्यवस्था नहीं कर पाई।

इन लोगों को अपनी जान को खतरे में डालकर नदियों के किनारे अपने आशियाने बनाने पड़ रहे हैं जोकि कभी भी बारिश की भेंट चढ़ सकते हैं।  हैरानी की बात है कि सरकार द्वारा कामगारों के लिए बनाए गए पुरुष होस्टल में पुलिस कर्मी रह रहे हैं जबकि महिला होस्टल तैयार होने के बावजूद यहां किसी भी महिला कर्मी को होस्टल नहीं दिया गया है। उपरोक्त लोगों का कहना है कि जब कामगारों के लिए बनाए गए रिहायशी होस्टलों में उन्हें रहने नहीं दिया जा रहा है तो इन होस्टलों पर करोड़ों रुपए खर्च करने का क्या फायदा। 


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kirti

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