कभी न करें ऐसे लोगों की Disrespect वरना...

punjabkesari.in Sunday, Jun 10, 2018 - 11:27 AM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (देखें VIDEO)
PunjabKesari

स्वामी रामदास जी पहुंचे हुए संत थे। उनके जीवन के कुछ तय नियम थे और वह अपने नियम पर अटल रहते थे। उनका एक नियम था कि वह स्नान एवं पूजा से निवृत्त होकर केवल 5 घरों में भिक्षा मांगने के लिए जाते थे और वहां से जो कुछ मिल जाता वही लेकर लौट जाते। एक दिन वह ऐसे घर में भिक्षा लेने के लिए पहुंचे जहां थोड़ी देर पहले ही पति-पत्नी में लड़ाई हुई थी। पत्नी गुस्से में थी।
PunjabKesari

स्वामी जी ने घर के बाहर से आवाज़ लगाई। उनकी आवाज़ सुनकर वह स्त्री बाहर आई और बोली, ‘‘तुम लोगों को भीख मांगने के सिवाय कोई धंधा ही नहीं है। चलो यहां से, मैं कुछ भी नहीं दूंगी।’’ 

स्वामी जी का नियम था, वह भिक्षा में कुछ लिए बगैर नहीं लौटते थे। स्वामी जी ने उस स्त्री से कहा, ‘‘मैं भिक्षा में कुछ न कुछ लिए बगैर नहीं जाऊंगा।’’ 
PunjabKesari

स्त्री उस वक्त फर्श पर पोंछा लगा रही थी। पोंछा लगाने वाले कपड़े को ही स्वामी जी को देते हुए गुस्से से कहा, ‘‘तो फिर यह लो, ले जाओ इसे भिक्षा में।’’

स्वामी जी ने प्रसन्न मन से उस कपड़े को लिया और वह नदी के तट पर पहुंच गए। उन्होंने कपड़े को अच्छी तरह साफ किया, सुखाया और फिर उसकी बाती बनाकर वह देवालय पहुंचे। स्वामी जी इस भिक्षा को पाकर मन ही मन प्रसन्न थे। उधर वह स्त्री पश्चाताप कर रही थी कि बेवजह एक सत्पुरुष का अनादर किया। अंत में वह उन्हें ढूंढती हुई देवालय में पहुंच गई। वह देखकर हैरान रह गई कि स्वामी जी ने उस वस्त्र से बातियां बना ली हैं। 
PunjabKesari

वह स्वामी जी के चरणों में गिरकर बोली, ‘‘देव, मैंने आपका निरादर किया, क्षमा करें।’’ रामदास जी बोले, ‘‘देवी, तुमने उचित ही भिक्षा दी। तुम्हारी भिक्षा का ही परिणाम है कि देवालय रोशनी से जगमगा रहा है और उसका लाभ अनेक लोगों को मिल रहा है। तुम भोजन देती तो वह सिर्फ मेरे ही काम आता।’’
PunjabKesari
जानें, किसने ठुकराया तुलसी का Proposal?(देखें Video) 
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Jyoti

Recommended News

Related News