तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की डगर पर भारत

punjabkesari.in Wednesday, Apr 25, 2018 - 02:16 AM (IST)

नेशनल डेस्कः इन दिनों दुनिया के आर्थिक संगठनों की जो शोध अध्ययन रिपोर्टें प्रकाशित हो रही हैं, उनमें भारत की तेज आॢथक रफ्तार तथा 10-12 सालों में भारत के तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के निष्कर्ष प्रस्तुत किए जा रहे हैं। 19 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम.एफ.) द्वारा प्रकाशित वल्र्ड इक्नॉमिक आऊटलुक में कहा गया है कि भारत फ्रांस को पीछे छोड़कर दुनिया की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) के आकार की दृष्टि से भारत 2.6 लाख करोड़ डॉलर मूल्य की अर्थव्यवस्था वाला देश है। रिपोर्ट के मुताबिक, 5 अन्य अर्थव्यवस्थाएं जिनके नाम भारत से ऊपर हैं, उनमें क्रमवार अमरीका, चीन, जापान, जर्मनी और ब्रिटेन हैं। आई.एम.एफ .का कहना है कि यदि भारत आॢथक और कारोबार सुधारों की प्रक्रिया को वर्तमान की तरह निरंतर जारी रखता है तो वर्ष 2030 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।

इसी तरह विश्वविख्यात ब्रिटिश ब्रोकरेज कंपनी हांगकांग एंड शंघाई बैंक कार्पोरेशन (एच.एस.बी.सी.) ने अपनी अध्ययन रिपोर्ट  में कहा है कि यद्यपि वर्ष 2016-17 मेें भारत की आर्थिक वृद्धि के रास्ते में बाधा उत्पन्न हुई थी लेकिन अब भारत में आॢथक सुधारों के कारण अर्थव्यवस्था का प्रभावी रूप दिखाई देगा और वर्ष 2028 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। भारत के वित्त मंत्रालय  द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में जिलावार कृषि-उद्योग के विकास, बुनियादी ढांचे में मजबूती एवं निवेश मांग के निर्माण में यथोचित वृद्धि करने के लिए जो रणनीति बनाई गई, उससे 2025 तक भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 5,000 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा, जोकि अभी 2500 अरब डॉलर के करीब है।

स्पष्ट है कि दुनिया की विभिन्न आर्थिक अध्ययन रिपोर्टें संकेत दे रही हैं कि आगामी कुछ वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ेगी और 10-12 वर्ष बाद यह तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकती है। नि:संदेह भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़े कई सकारात्मक पक्ष भी स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं। आई.एम.एफ . का कहना  है कि 2018 में भारत की विकास दर 7.4 फीसदी रहेगी तथा 2019 में  7.8 फीसदी हो जाएगी जबकि चीन में 2018 में विकास दर 6.6 फीसदी और 2019 में 6.4 फीसदी रहने का अनुमान है। ऐसे में भारत सबसे अधिक तेज विकास दर वाला देश दिखाई दे रहा है।

भारत की अर्थव्यवस्था में मध्यम वर्ग की बड़ी भूमिका
भारत का निर्यात वर्ष 2017-18 में लक्ष्य के अनुरूप 300 अरब डॉलर के ऊपर पहुंचा है। भारत का शेयर बाजार, विदेशी मुद्रा भंडार और भारतीय रुपया अच्छी स्थिति में हैं। जी.डी.पी.  में प्रत्यक्ष कर का योगदान बढ़ा है। इसी प्रकार आर्थिक उदारीकरण के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था को चमकाने में भारतीय मध्यम वर्ग की भी विशेष भूमिका है। देश की विकास दर के साथ-साथ शहरीकरण की ऊंची वृद्धि दर के बलबूते भारत में मध्यम वर्ग के लोगों की आर्थिक ताकत तेजी से बढ़ी है और भारत का मध्यम वर्ग लंबे समय तक देश में अधिक उत्पादन, अधिक बिक्री और अधिक मुनाफे का स्रोत बना रहेगा।

बहरहाल भारत की अर्थव्यवस्था के तेजी से आगे बढऩे और दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के जो सर्वेक्षण प्रकाशित हो रहे हैं, उनमें बताई जा रही विभिन्न जरूरतों को पूरा किया जाना जरूरी होगा। देश में बुनियादी ढांचा मजबूत करना होगा। निवेश में वृद्धि की जानी होगी। नई मांग का निर्माण किया जाना होगा।  विनिर्माण के क्षेत्र में देश को आगे बढ़ाया जाना जरूरी होगा। साथ ही युवाओं को विकास से सुसज्जित किया जाना होगा। निश्चित रूप से अब देश की अर्थव्यवस्था को ऊंचाई देने के लिए मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर की अहम भूमिका बनाई जानी होगी। मेक इन इंडिया योजना को गतिशील करना होगा। उन ढांचागत सुधारों पर भी जोर दिया जाना होगा, जिनमें निर्यातोन्मुखी विनिर्माण क्षेत्र को गति मिल सके। ऐसा किए जाने से भारत में आर्थिक एवं औद्योगिक विकास की नई संभावनाएं आकार ग्रहण कर सकती हैं।

आगे बढ़ने की अच्छी हैं संभावनाएं
पिछले दिनों प्रकाशित विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर को बढ़ावा देकर भारत चीन और पश्चिमी देशों को पीछे छोड़कर दुनिया का नया कारखाना बन सकता है। यद्यपि इस समय दुनिया के कुल उत्पादन का 18.6 फीसदी उत्पादन अकेला चीन करता है। लेकिन कुछ वर्षों से चीन में आई लगातार सुस्ती एवं युवा कार्यशील आबादी में कमी और बढ़ती श्रम लागत के कारण चीन में औद्योगिक उत्पादन में मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में उत्पादन गुणवत्ता के मामले में  चीन से आगे चल रहे भारत के मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर में आगे बढऩे की अच्छी संभावनाएं मानी जा रही हैं। ख्यात वैश्विक शोध संगठन स्टैटिस्टा और डालिया रिसर्च द्वारा मेड इन कंट्री इंडैक्स 2016 में उत्पादों की साख के अध्ययन के आधार पर कहा गया है कि गुणवत्ता के मामले में मेड इन इंडिया मेड इन चाइना से आगे है।

न केवल देश में मेक इन इंडिया की सफलता के लिए कौशल प्रशिक्षित युवाओं की कमी को पूरा किया जाना होगा,बल्कि दुनिया के बाजार में भारत के कौशल प्रशिक्षित युवाओं की मांग को पूरा करने के लिए भी कौशल प्रशिक्षण के रणनीतिक प्रयास जरूरी होंगे। देश के उद्योग-व्यवसाय  में कौशल प्रशिक्षित लोगों की मांग और आपूॢत में लगातार बढ़ता अंतर दूर किया जाना होगा। भारत में करीब 20 फीसदी लोग ही कौशल प्रशिक्षण से शिक्षित-प्रशिक्षित हैं, जबकि चीन में ऐसे लोगों की संख्या 91 प्रतिशत है। जहां दुनिया के कई विकसित और विकासशील देशों में कौशल प्रशिक्षित युवाओं की मांग बढ़ रही है, वहीं अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और सिंगापुर जैसे कुछ देश वीजा संबंधी नियमों को कठोर बनाकर भारत के प्रोफैशनल्स के बढ़ते कदमों को रोकना चाह रहे हैं, लेकिन दूसरी ओर जापान की तरह दुनिया के अधिकांश देशों में भारतीय प्रतिभाओं का स्वागत हो रहा है।

गौरतलब है कि जापान के उद्योग और व्यापार को बढ़ावा देने वाली सरकारी एजैंसी जापान विदेश व्यापार संगठन (जे.ई.टी.आर.ओ.) ने कहा कि जापान की औद्योगिक और कारोबार आवश्यकताओं में तकनीक और नवाचार का इस्तेमाल तेज होने की वजह से जापान ने आगामी दो वर्षों  में भारत से 2 लाख आई.टी. पेशेवरों की पूॢत हेतु कार्य योजना बनाई है।

हम आशा करें कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की रिपोर्ट के मद्देनजर दुनिया की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में चमकते हुए भारत को आगामी 12 वर्षों में दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में तबदील करने के लिए सरकार विनिर्माण क्षेत्र एवं कौशल प्रशिक्षण को नए आयाम देगी। सरकार मांग और निवेश में वृद्धि करने की डगर पर आगे बढ़ेगी।  साथ ही वह स्टार्टअप और बुनियादी ढांचे के निर्माण पर यथोचित ध्यान देगी । ऐसा होने पर निश्चित रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनते हुए दिखाई दे सकेगी। - डॉ. जयंतीलाल भंडारी


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