बिजली सप्लाई मामले में अभी भी 20 साल पीछे है शहर

punjabkesari.in Tuesday, Apr 24, 2018 - 11:01 AM (IST)

गुरदासपुर(विनोद): आज के युग में बिजली का बहुत महत्व है तथा बिजली के बिना मानव को अपना जीवन अधूरा-सा महसूस होता है परंतु यही बिजली कभी-कभी मामूली लापरवाही या अनियमितता के चलते इंसान पर इतनी भारी पड़ती है कि किसी भी व्यक्ति की मौत का कारण बन जाती है।

 

बिजली के कारण करंट लगने की घटनाएं अधिकतर बरसात के मौसम में ही होती हैं, जबकि खेतों मे आग लगने की घटनाएं गेहूं की कटाई के सीजन में बहुत अधिक होती हैं। कभी बिजली कर्मचारी अपनी ड्यूटी देते हुए करंट लगने के कारण अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं तो कभी आम आदमी मामूली लापरवाही के कारण या मानवीय गलती के कारण मौत के आगोश में चला जाता है। बरसात के मौसम में तेज बरसात, तेज आंधी व तूफान के कारण बिजली की सप्लाई बहुत प्रभावित होती है।

 

कई बार बिजली की तारें टूट कर घरों व अन्य इमारतों पर गिरने से बहुत बड़ी घटना का कारण भी बनती हैं, परंतु इस सारे मामले पर यदि गहनता से विचार किया जाए या पावरकॉम के उच्च अधिकारियों से बात की जाए तो यही बात सामने आती है कि मामूली-सी लापरवाही बहुत अधिक नुक्सान का कारण बन जाती है। कई बार तो बिजली के पोल पर बना तारों का जंजाल या गली मोहल्लों में बहुत कम ऊंचाई पर बिजली की तारें भी घटनाओं को जन्म देती हैं। बिजली का पोल यदि मामूली झुका हो तो पावरकॉम के कर्मचारी उस पोल को सीधा करना अपनी ड्यूटी नहीं मानते और उनसे यदि शिकायत की जाए तो जवाब होता है कि यह जब गिरेगा तब देखा जाएगा।

 

यदि अन्य देशों या प्लैन सिटी से मुकाबला किया जाए तो लगता है कि गुरदासपुर शहर सहित जिले के अन्य शहरों व कस्बों में बिजली सप्लाई व्यवस्था मामले में अभी भी लगभग 20 साल पीछे है। पावरकाम संबंधी गठित गुरदासपुर सर्कल में जो प्रमुख शहर आते हैं उनमें गुरदासपुर सहित बटाला, पठानकोट, सुजानपुर, दीनानगर, धारीवाल, डेराबाबा नानक, कादियां, श्री हरगोङ्क्षबदपुर, कलानौर, दोरांगला, नरोट जैमल सिंह आदि शामिल हैं। कुछ शहरों में बिजली सप्लाई का काम ठीक ढंग से चलाने के लिए दो दो सब- डिवीजन हैं जबकि छोटे शहरों में एक-एक सब डिवीजन है। सभी सब-डिवीजनों में कर्मचारियों की भारी कमी पाई जा रही है जो बिजली सप्लाई को बेहतर बनाने में मुख्य रुकावट है।

 

गत समय की बजाय बिजली सप्लाई कार्यों में बहुत सुधार हुआ : पावरकॉम अधिकारी
 इस संबंधी पावरकाम के गुरदासपुर सर्कल के उच्च अधिकारियों से बात की जाए तो उनका कहना है कि गत समय की बजाय आज बिजली सप्लाई कार्यों में बहुत सुधार हुआ है और यही कारण है कि अब बिजली करंट से लोगों व कर्मचारियों के मारे जाने की घटनाओं में बहुत कमी आई है। उन्होंने कहा कि हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि ग्रामीण व शहरों में बिजली उपभोक्ताओं के घरों के अंदर लगे बिजली मीटरों को घर से बाहर निकाला जाए। लगभग 90 प्रतिशत काम हो चुका है। इससे बिजली चोरी में भारी गिरावट आई है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोगों ने जैनरेटर लगा रखे हैं और बिजली बंद होने पर वह जैरनेटर चला लेते हैं। 

 

जिस लाइन पर पावरकाम के कर्मचारी काम कर रहे होते हैं उस लाइन में जैनरेटर का करंट आ जाने से भी हादसा हो सकता है। जैनरेटर लगाने संबंधी लोग पावरकाम से मंजूरी नहीं लेते, जिस कारण कर्मचारियों को पता नहीं होता कि किस लाइन पर जैनरेटर चलेगा। उन्होंने स्वीकार किया कि जितने भी पैनल बाक्स हमने लगा रखे हैं वे तो लगभग सील रहते हैं परंतु पिल्लर बाक्स का ताला तोडऩे या शीशा तोडऩे की घटनाएं होती रहती हैं। पोल पर लगे मीटर की भी कभी कभी चोरी होने की सूचना मिलती है परंतु इसके लिए बिजली कर्मचारियों की बजाय बिजली उपभोक्ता की जिम्मेदारी अधिक होती है। उन्होंने स्वीकार किया कि बिजली चोरी करवाने में पावरकाम के कर्मचारियों की संलिप्तता का मामला भी सामने आता है। इस संबंधी आरोपी पाए जाने वाले कर्मचारी के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाती है।

 

 बिजली पोलों की हालत, जमीन पर रखे असुरक्षित बिजली ट्रांसफार्मर व मोहल्लों के लटकती तारों संबंधी बात की गई तो उनका कहना था कि एकदम तो सारा काम ठीक नहीं किया जा सकता। जिस तरह से बहुत तेज गति से काम चल रहा है उससे आने वाले 6 माह में बहुत परिवर्तन देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि हमारे शहर प्लैन शहर नहीं है, जिस कारण मकानों का निर्माण करने संबंधी कोई ठोस नीति न होने के कारण मोहल्लों में यह समस्या बहुत अधिक है। 

 

जमीन पर रखे हुए हैं कई ट्रांसफार्मर,  3 से 5 फुट ऊंचाई पर हैं बिजली मीटर

 गुरदासपुर शहर की ही यदि बात की जाए तो इस शहर में आज भी कई ट्रांसफार्मर जमीन पर रखे हुए हैं जो किसी भी समय किसी बड़ी घटना को आमंत्रित कर सकते हैं। गलियों में यदि चक्कर लगाया जाए तो कुछ बिजली के मीटर तथा पोल किसी बिजली घर से कम नहीं हैं और स्वयं बिजली कर्मचारियों को भी यह समझ नहीं आता कि कौन सी बिजली की तार किस बिजली उपभोक्ता की है। इसी तरह से शहर में स्ट्रीट लाइट सप्लाई संबंधी कुछ मीटर तथा स्विच लगे हुए हैं परंतु यह बक्से अधिकतर खुले पड़े हैं जो किसी भी हादसे का कारण बन सकते हैं। गलियों व सड़कों पर बिजली की तारें बहुत ही नीचे होने के कारण कई बार हादसों का कारण बन चुकी हैं और उसके बावजूद इन तारों को आज तक ठीक करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जितने भी बिजली मीटर घरों से निकाल कर बाहर लगाए गए हैं वे जमीन से मात्र 3 से 5 फुट ऊंचाई पर हैं तथा इतनी ऊंचाई पर छोटे बच्चे का हाथ भी पहुंच सकता है।

बिजली चोरी से संबंधी सुधार पावरकाम को लाभ हुआ : शर्मा

इस संबंधी गुरदासपुर के पूर्व डिप्टी चीफ इंजीनियर आर.एन. शर्मा से बात की गई तो उनका कहना था कि पहले की उपेक्षा बहुत सुधार हुआ है परंतु बिजली पैदा करने के साथ साथ हमें बिजली बचत करने की आदत भी डालनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बिजली चोरी संबंधी जितना सुधार हुआ है उससे पावरकॉम को लगभग 500 मैगावाट बिजली का लाभ हुआ है जबकि रणजीत सागर डैम 600 मैगावाट का है। लोगों को चाहिए कि वे बिजली चोरी न करें और बिजली बचत की आदत डालें।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

swetha

Recommended News

Related News