कै. अमरेन्द्र के पैंतरे ने उपमुख्यमंत्री के संभावित दलित दावेदार किए ढेर

punjabkesari.in Tuesday, Apr 24, 2018 - 10:50 AM (IST)

जालंधर (चोपड़ा): पंजाब मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान कै. अमरेन्द्र के पैंतरे ने उपमुख्यमंत्री पद के संभावित दलित दावेदारों को इस कदर ढेर कर दिया कि वह उपमुख्यमंत्री तो क्या मंत्री पद पाने से भी हाथ धो बैठे। कै. अमरेन्द्र सिंह की राजसी कार्यशैली व स्वभाव के चलते राजनीतिक गलियारों में खासा चर्तति है कि उन्होंने अपने समानांतर लॉबी को कभी सिर उठाने नहीं दिया चाहे वह प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रधान प्रताप सिंह बाजवा हों, शमशेर सिंह दूलो, राजिन्द्र कौर भल्ला हों अथवा मौजूदा समय में पंजाब मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान दलित उपमुख्यमंत्री के दावेदार विधायक ही क्यों न हों।

कै. अमरेन्द्र ने हमेशा ही ऐसे नेताओं के पंख कुतरने में कभी कोई परहेज नहीं किया चाहे वह उनके कितने भी वफादार या खासमखास क्यों न हों। ऐसा ही कैबिनेट में स्थान पाने को लेकर पूरी तरह से आश्वास्त अमृतसर से दलित विधायक डा. राजकुमार वेरका व होशियारपुर से विधायक संगत सिंह गिलजियां के साथ हुआ। दिल्ली दरबार से लेकर पंजाब की राजनीति में इन दोनों निर्विवादित विधायकों को मंत्री बनाए जाने को लेकर हरेक वर्ग पूरी तरह से आश्वस्त था। राहुल के साथ मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर हुई अंतिम बैठक के उपरांत कै. अमरेन्द्र ने जब 9 मंत्रियों के नाम सार्वजनिक किए तो हरेक नेता सहित आम आदमी अचम्भित रह गया कि सूची में डा. वेरका व गिलजियां के नाम शामिल नहीं थे।

अमृतसर से विधायक ओ.पी. सोनी व होशियारपुर से विधायक सुंदर श्याम अरोड़ा को एडजस्टमैंट मिली। कांग्रेस के पुष्ट सूत्रों की मानें तो एस.सी/एस.टी एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आए फैसले की सारी गाज नरेन्द्र मोदी सरकार व आर.एस.एस. पर गिरी तथा देश भर में गुस्से में आए दलित समाज द्वारा केंद्र सरकार व भाजपा के खिलाफ व्यापक स्तर पर प्रदर्शन व ङ्क्षहसक घटनाएं देखने को मिलीं। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी दलित संघर्ष को समर्थन देकर दलितों को कांग्रेस के साथ जोडऩे में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। कांग्रेस ने देश भर के जिला हैडक्वार्टर्स पर दलितों के अधिकारों के लिए व अत्याचारों के खिलाफ अनेकों कार्यक्रम किए। यहां तक कि कांग्रेस आलाकमान ने राहुल की अगुवाई में आज दिल्ली में दलित महासम्मेलन का आयोजन करवाया जिसमें देश भर से 23000 दलित नेता शामिल हुए।

पंजाब में दलितों की आबादी 36 प्रतिशत के करीब है, ऐसे में मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान पंजाब से किसी दलित विधायक को उपमुख्यमंत्री बनाने की डिमांड ने खासा जोर पकड़ लिया। नए मंत्रियों की संभावित सूची में राहुल द्वारा वाल्मीकि समुदाय से संबंधित विधायक डा. वेरका या ओ.बी.सी. वर्ग से संबंधित विधायक गिलजियां को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चाएं जोर पकड़ गईं। डा. वेरका का तो राहुल से पहले ही सीधा संबंध रहा है और चर्चा है कि उन्होंने कै. अमरेन्द्र को बाईपास करते हुए राहुल दरबार में इस उपमुख्यमंत्री पद को पाने के लिए लगातार लाङ्क्षबग भी की। सूत्रों की मानें तो कै. अमरेन्द्र ने मंत्रियों के नामों को फाइनल करने को लेकर राहुल के समक्ष जमकर अपनी जिद मनवाई।

इस दौरान ‘न रहेगा बांस और न बजेगी बांसुरी’ की कहावत को सार्थक करते हुए डा. वेरका व गिलजियां दोनों दलित विधायकों या कहें संभावित उपमुख्यमंत्रियों के नामों को सूची से ही बाहर का रास्ता दिखा दिया।दोनों विधायक उपमुख्यमंत्री तो क्या मंत्री पद से भी हाथ धो बैठे। इसी कारण रोष में आए गिलजियां ने नए मंत्रियों के नाम सामने आते ही पार्टी के सभी पदों से अपना इस्तीफा दे दिया। परंतु डा. वेरका किसी तरह अपने दिल के टूटे अरमानों को दबाकर चुप्पी साध गए हैं।

कैप्टन मंत्रिमंडल में पहले से ही साधु सिंह धर्मसोत, चरणजीत सिंह चन्नी व अरुणा चौधरी जैसे दलित चेहरे शामिल हैं परंतु टीम कैप्टन में पहले से फिट बैठे उक्त विधायक शायद ही भविष्य में दलित उपमुख्यमंत्री के सुर उठाएं क्योंकि मुख्यमंत्री के साथ वफादारी के बावजूद अलग लाइन ऑफ एक्शन बनाने वाले नेताओं का हश्र उनके समक्ष आ चुका है। परंतु मंत्रिमंडल में विस्तार के उपरांत जिस प्रकार प्रदेश भर के दलित विधायकों व समाज में कै. अमरेन्द्र व कांग्रेस की नीतियों के खिलाफ रोष व्याप्त हो गया है उससे लगता है कि कांग्रेस के लिए मिशन 2019 की डगर खासी कठिनाई भरी होगी। पंजाब में ओ.बी.सी. वर्ग से 8 विधायक हैं परंतु पंजाब मंत्रिमंडल में किसी ओ.बी.सी. को स्थान नहीं मिला। अगर पंजाब के दलित विधायकों व समुदाय को आलाकमान संतुष्ट न कर पाई तो लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को इस नाराजगी का भारी खमियाजा भुगतना पड़ेगा।
 


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Anjna

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