23 वर्ष बाद शक्तियां अर्जित करने शिकारी देवी पहुंचे देवता शंगचुल महादेव

punjabkesari.in Friday, Jun 14, 2019 - 12:25 PM (IST)

गोहर (ख्याली राम): कुल्लू जिला के बंजार क्षेत्र के टील के आराध्य देवता शंगचुल महादेव ने जंजैहली के तीर्थ स्थल बूढ़ाकेदार में अपने हारियानों के साथ निर्जला स्नान किया। बूढ़ाकेदार में स्नान के उपरांत देवता ढोल-नगाड़ों की थाप पर माता शिकारी देवी के दरबार हाजिरी भरने रवाना हो गया है। देव परम्परा के अनुसार देवी-देवता पुराने धार्मिक तीर्थ स्थलों में जाते रहते हैं। शंगचुल महादेव ने देव प्रथा के अनुसार बूढ़ाकेदार में सैंकड़ों देवलुओं के साथ पवित्र स्नान किया। कहते हैं कि यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। 

ऐसे पर्वों में जो व्यक्ति देवी-देवताओं के साथ स्नान करते हैं, उनके अनेक पापों व कई प्रकार के रोगों की भी निवृत्ति होती है। इस मौके पर पुजारी देवेंद्र शर्मा ने बताया कि जो दंपति बेऔलाद हैं वे यदि देवता के पास जाकर फरियाद करें तो साल के मध्य में उन्हें संतान प्राप्ति होती है। कारकूनों का कहना है कि जो भी दुखी देवता के पास आता है, उसकी मनोकामना सालभर में अवश्य पूरी होती है। देवता के कारदार गोपी चौहान का कहना है कि गांव टील व बछूट के आराध्य देवता शंगचुल महादेव 11 जून से अपनी कोठी से निकले हैं जो 14 जून तक प्रवास पर रहेंगे।

शक्तियां अर्जित करने आते हैं बूढ़ाकेदार और शिकारी

देवता के कारदार गोपी चौहान ने कहा कि गढ़पति महादेव अपनी शक्तियों से सृष्टि के पालनहार हैं जिन्हें शक्ति का भंडार कहा जाता है मगर देवी-देवताओं के साथ जोगणियों का होना देव नीति में निहायत ही जरूरी माना गया है। जिस संदर्भ में महादेव शक्तियां हासिल करने के लिए योगिनी शिकारी देवी स्थल के लिए अपने 2 दिवसीय प्रवास पर सैंकड़ों हारियानों और ढोल-नगाड़ों के साथ रवाना हो गए हैं। उन्होंने कहा कि जब भी देवता शंगचुल महादेव शक्तियां हासिल करते हैं तो वह शैंशर के अपने गुप्त स्थान मनाहारा, शाक्टी, शिकारी तथा लांबरी आदि स्थानों में मानव कल्याण के लिए देव शक्तियां अर्जित करते हैं।

23 वर्ष बाद शिकारी देवी पहुंचे देवता शंगचुल महादेव

देवता 23 वर्ष बाद योगिनी शिकारी देवी स्थल पहुंचे हैं। देवता अपने सैंकड़ों हारियानों के साथ इस प्रवास के दौरान करीब 200 कि.मी. का सफर पैदल चलकर पूरा करेंगे। इसमें कई स्थानों पर देवता का रात्रि ठहराव होगा। कारदार ने बताया कि इसके बाद देवता अपने देवालय टील बछूट के लिए लौट जाएंगे। देवता शंगचुल महादेव के शक्तियां अर्जित करने से इलाके में सुख-समृद्धि और शांति का माहौल बना रहता है।


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Ekta

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