परिवारवाद के खिलाफ बीरेंद्र की इस्तीफे की पेशकश

punjabkesari.in Monday, Apr 15, 2019 - 10:17 AM (IST)

नई दिल्ली (महावीर):  केंद्रीय इस्पात मंत्री बीरेंद्र सिंह ने आज अपने दिल्ली अकबर रोड स्थित आवास पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान खुलासा किया कि उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीयध्यक्ष अमित शाह को इस्तीफे की पेशकश की है। बीरेंद्र सिंह ने न केवल मंत्रिमंडल से बल्कि राज्यसभा सदस्यता से भी इस्तीफा देने का मन बनाया है। उनका इस्तीफा भाजपा हाईकमान ने मंजूर किया है या नहीं, इस बारे में उन्होंने कोई जानकारी नहीं दी।

बीरेंद्र सिंह ने कहा कि वे राजनीति में परिवारवाद के खिलाफ स्वयं को चुनावी राजनीति से अलग कर रहे हैं। जिस दौरान वे पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे, उसी दौरान भाजपा ने अपने 2 प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी, जिसमें बीरेंद्र सिंह के पुत्र बृजेंद्र सिंह को हिसार व अरविंद शर्मा को रोहतक से प्रत्याशी बनाया गया है। बीरेंद्र सिंह ने कहा कि उनके पुत्र के राजनीति में आने के कारण वे अब सक्रिय व चुनावी राजनीति से संयास ले लेंगेे। 

वीरेंद्र सिंह से जब यह पूछा गया कि क्या उनका इस्तीफा हरियाणा के अन्य नेताओं के लिए भी मिसाल बनेगा तो उन्होंने कहा कि यह हर व्यक्ति की अपनी सोच पर निर्भर करता है। भाजपा की परंपरा रही है कि परिववारवाद की राजनीति को बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए। इसलिए उन्होंने अपनी 47 साल के राजनीतिक सफर को यहीं रोकने का निर्णय लिया है। हालांकि उन्होंने दोहराया कि वे पार्टी की राजनीति करते रहेंगे और संगठन को अपनी सेवाएं देते रहेंगे, लेकिन चुनावी राजनीति से वे स्वयं को अलग कर लेंगे। 

पुत्र की टिकट में थी अड़चन
बीरेंद्र सिंह ने आज जहां अपने इस्तीफे की पेशकश भाजपा शीर्ष नेतृत्व से कर दी है वहीं उन्होंने पत्रकारों को बताया कि जब उनके आई.ए.एस. पुत्र बृजेंद्र सिंह ने चुनाव लडऩे की इच्छा भाजपा के सामने प्रकट की तो मेरी राजनीति बृजेेंद्र की टिकट में बाधा बन रही थी। इसलिए उन्होंने निर्णय लिया कि वे 47 साल  की अपनी चुनावी राजनीति को अलविदा कह पार्टी की सेवा करेंगे। इसलिए उन्होंने पार्टी के सामने पुत्र की टिकट के लिए इस्तीफे की पेशकश कर दी। हालांकि उनके इस्तीफे पर क्या निर्णय लिया जाएगा, यह फैसला होना अभी बाकी है, परंतु उनके इस्तीफे की पेशकश से ही उनके पुत्र बृजेंद्र को उम्मीदवार बना दिया है। 

पत्नी के मुद्दे को टाल गए केंद्रीय मंत्री
जब संवाददाता ने बीरेंद्र सिंह से सवाल किया कि वे परिवारवाद की राजनीति की बात करते हुए आज इस्तीफे की बात कर रहे हैं तो जब उनकी पत्नी प्रेमलता के उचाना से विधायक होने के बावजूद वे राज्यसभा में गए और केंद्र में मंंत्री बने तो उस वक्त परिवारवाद की बात उन्हें व भाजपा को ध्यान क्यों नहीं आई, इस पर बीरेंद्र सिंह बोले कि जब वे चुनाव लड़ी थीं, तो वे राज्यसभा सदस्य नहीं थे और प्रेमलता को उनके राज्यसभा सदस्य व मंत्री बनने से पूर्व ही पार्टी टिकट दे चुकी थी और वे विधायक बन चुकी थीं। 

आंटी भी दें इस्तीफा  : अशोक तंवर
परिवारवाद की राजनीति के खिलाफ इस्तीफे की पेशकश करने वाले केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के खिलाफ कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर ने कहा कि यह एक नौटंकी है, जनता इस नौटंकी को समझती है। उन्होंने कहा कि अगर परिवारवाद की राजनीति ही वे खत्म करना चाह रहे हैं तो पुत्र की टिकट मिलने पर केवल पिता का ही इस्तीफा क्यों, माता को भी इस्तीफा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौर में उनके इस्तीफे की पेशकश का कोई मतलब नहीं है। प्रदेशाध्यक्ष ने यह भी कहा कि यह सब भाजपा की डूबती नैया को बचाने का एक प्रयास है। अगर वास्तव में ही वे परिवारवाद की राजनीति को खत्म करना चाहते हैं तो आंटी प्रेमलता का भी इस्तीफा दिलवाएं और अपना इस्तीफा मंजूर करवाएं।

बीरेंद्र सिंह ने आज मीडिया को यह भी बताया कि उनके परिवार की राजनीति का इतिहास 100 साल का है। उनके नाना दीनबंधु सर छोटूराम 1922 में विधायक बने। उसके बाद उनके मामा यानि दीनबंधु के पुत्र श्रीचंद 1952, 1957 व 1967 में विधायक बने और मंत्री भी रहे। उसके बाद उनके मामा की बेटी बसंती देवी 1982 व 1987 में विधायक रहीं। 1962 में वीरेंद्र सिंह के पिता नेकीराम विधायक रहे और 1967 में विधानसभाध्यक्ष भी रहे। 1972 से वीरेंद्र सिंह स्वयं मैदान में हैं और उनकी पत्नी उचानाकलां से विधायक हैं और पुत्र बृजेंद्र सिंह को पहली बार भाजपा ने हिसार से अपना लोकसभा प्रत्याशी बनाया है। 


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kamal

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