किस करवट बैठेगा डेरा वोट, पार्टियां कह रही हैं नहीं लेना समर्थन

punjabkesari.in Saturday, Mar 23, 2019 - 08:34 AM (IST)

बठिंडा(विजय): साध्वी यौन शोषण मामले में उम्रकैद और रामचंद्र छत्रपति हत्या मामले में सजा सुनाए जाने के बाद डेरा प्रेमियों के लिए यह पहला चुनाव है। इस  बार वह असमंजस की स्थिति में हैं कि वे किस पार्टी या उम्मीदवार को वोट डालें। एक समय था जब हरियाणा, पंजाब और राजस्थान की राजनीति में डेरे का भरपूर असर हुआ करता था। विभिन्न दलों के बड़े-बड़े राजनेताओं को वहां नतमस्तक होते देखा गया। 

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पंजाब में जिला बठिंडा और संगरूर, हरियाणा में सिरसा,  रोहतक, फतेहाबाद, करनाल, कुरुक्षेत्र और पंचकूला सहित कई जिलों में डेरे का असर था। करीब दो दर्जन से अधिक विधानसभा सीटों और लोकसभा हलकों पर डेरा प्रेमी किसी भी प्रत्याशी की हार-जीत में अहम भूमिका निभाते थे। मगर अब वह दौर खत्म हो चुका है। दूसरी ओर शिरोमणि अकाली दल, कांग्रेस और भाजपा सहित दूसरे दल डेरे का समर्थन नहीं लेने की बात कह चुके हैं।

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अभी भी डेरे का असर बरकरार
डेरा प्रेमियों के भंगीदासों का कहना है कि बठिंडा-मानसा लोकसभा में उनके 4 लाख डेरा प्रेमी हैं जो किसी भी प्रत्याशी की तकदीर बदलने के लिए काफी हैं। यह सत्य है कि किसी समय डेरा प्रेमियों का बोलबाला था लेकिन वह दौर अब खत्म हो चुका है। उनके दावे को झुठलाया नहीं जा सकता लेकिन खुफिया एजैंसियों के अनुसार बठिंडा-मानसा क्षेत्र में वोटों का आंकड़ा 1 लाख से भी नीचे गिर चुका है। इस लोकसभा सीट पर कुल मतदाता 1589895 हैं। डेरा मुखी के जेल जाने के बाद उनके अनुयायियों की संख्या में काफी गिरावट आई लेकिन डेरे का असर अभी भी बरकरार है। 

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सभी पार्टियां रही हैं समर्थन की इच्छुक
अधिकतर डेरा प्रेमियों का कहना है कि वैसे तो हर पार्टी डेरे का समर्थन लेने की इच्छुक रही है मगर अब उन्हें किसी भी पार्टी पर विश्वास नहीं रहा है। डेरा प्रेमियों का कहना है कि वे नोटा का बटन दबाकर पंजाब में एक नए इतिहास की सिरजना करेंगे। पंजाब में किस पार्टी को वोट देंगे अभी तय नहीं लेकिन डेरे की 45 सदस्यीय कमेटी ने फैसला किया है कि कोई भी डेरा प्रेमी मनमर्जी से अपनी वोट का इस्तेमाल कर सकता है। 

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कई राज्यों में है डेरे का असर 
पंजाब सहित कई राज्यों में डेरे का असर है क्योंकि डेरा मुखी द्वारा पंजाब में हिंसक घटनाओं के बाद अपना रुख बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तरांचल जैसे राज्यों की ओर शुरू कर दिया गया था। उन्होंने एक दर्जन से अधिक राज्यों में अपने डेरे स्थापित कर लोगों को साथ जोडऩे में सफलता हासिल की। जेल जाने से पहले डेरा मुखी ने 15 अगस्त को अपने जन्म दिवस पर कहा था कि देश भर में उनके 4 करोड़ अनुयायी हैं। अगर डेरा मुखी जेल न जाते तो इन चुनावों में उनकी अहम भूमिका को नकारा नहीं जा सकता था। 

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