पंजाबी यूनिवर्सिटी के अध्यापक अब निभाएंगे नॉन टीचिंग वर्क

Thursday, Jul 12, 2018 - 11:30 AM (IST)

पटियाला (राजेश) : यदि डाक्टरों को लोगों के इलाज की बजाय प्रशासन के काम दे दिए जाएं तो राज्य के मैडीकल सैक्टर का क्या हाल होगा। इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। इसी तरह यदि यूनिवर्सिटी के प्रोफैसरों और शिक्षा विभाग में तैनात अध्यापकों को टीचिंग की बजाय नॉन टीचिंग के कार्यों की जिम्मेदारी दी जाए तो पंजाब के शिक्षा क्षेत्र का क्या हाल होगा।

 

इस बारे भी कुछ कहने की जरूरत नहीं। इन बातों को जानते हुए भी पंजाबी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डा. बी.एस. घुम्मन ने यूनिवर्सिटी के अध्यापकों को नॉन टीचिंग कार्यों पर ध्यान देने पर मोहर लगा दी है। यूनिवर्सिटी की तरफ से प्रपोजल तैयार किया गया था कि जो प्रोफैसर नॉन टीचिंग पोस्टों पर काम कर रहे हैं, उनको पढ़ाई से छूट दी जाए। इस प्रपोजल पर वाइस चांसलर ने सहमति दे दी है। अब ऐसे प्रोफैसरों को सिर्फ सप्ताह में एक या 2 पीरियड लगाने पड़ेंगे, बाकी दिन वे प्रशासन की कुर्सियों पर बैठ कर फाइलें निकालेंगे।


जानकारी के अनुसार 6 जुलाई को यूनिवर्सिटी के डीन अकादमिक दफ्तर में अहम मीटिंग हुई थी, जिसमें यूनिवर्सिटी की नॉन टीचिंग और प्रशासनिक पोस्टों पर अतिरिक्त चार्ज देकर बिठाए हुए प्रोफैसरों को पढ़ाने से छूट देने के लिए चर्चा हुई। बैठक दौरान ऐसे अध्यापकों को क्लासों की छूट देते हुए वर्क लोड अन्य अध्यापकों पर शिफ्ट करने बारे फैसला किया गया। आज वाइस चांसलर ने इस मामले पर अपनी मोहर लगा दी है, जिसके बाद यूनिवर्सिटी ने समूह टीचिंग विभागों के प्रमुखों को पत्र लिख कर कहा है कि वे साल 2018-19 के लिए अध्यापकों का वर्कलोड वाइस चांसलर के आदेशों के अनुसार करें।

 

इनको मिलेगी पढ़ाने से छूट
डीन अकादमिक मामले, रजिस्ट्रार, डीन कालेज विकास कौंसिल, डीन रिसर्च, डीन स्टूडैंट वैल्फेयर, वित्त अफसर, इंचार्ज आर.टी.आई. सैल, डीन रिसोर्स मोबिलाइजेशन, डायरैक्टर अकादमिक स्टाफ कालेज, प्रोवोस्ट, डायरैक्टर पब्लिक रिलेशन, डायरैक्टर प्लाङ्क्षनग एंड मॉनीटरिंग, डायरैक्टर युवक भलाई, डायरैक्टर आई.ए.एस. कोङ्क्षचग सैंटर, डायरैक्टर नेबरहुड कैंपस, डायरैक्टर रीजनल सैंटर, को-आर्डीनेटर एन.एस.एस., को-आर्डीनेटर केंद्रीय दाखिला सैल, प्लेसमैंट अफसर। इन पोस्टों पर यूनिवर्सिटी  
के 50 के लगभग अध्यापक तैनात हैं, लिहाजा यह अध्यापक अब पढ़ाने की बजाय बाबुओं वाला काम करेंगे।


यूनिवर्सिटी में पहले ही है अध्यापकों की कमी
यूनिवर्सिटी का मुख्य काम रिसर्च और पढ़ाई का होता है। यूनिवर्सिटी की आर्थिक हालत कमजोर होने के कारण अध्यापकों की नई भर्ती नहीं की जा रही। जिन विभागों में जो सीनियर अध्यापक हैं, उनको अहम पोस्टें 
दी हुई हैं, जिस करके उनका ध्यान पढ़ाई की बजाय अफसरी की तरफ लगा हुआ है। ऐसे में यूनिवर्सिटी का अकादमिक स्तर गिरता जा रहा है। पंजाबी यूनिवर्सिटी हिंदुस्तान की ऐसी यूनिवर्सिटी बन गई है, जहां अध्यापक नॉन टीचिंग पोस्टों पर काबिज होने के लिए जोड़-तोड़ करते रहते हैं।


इन नॉन टीचिंग पोस्टों पर तैनात हैं यह अध्यापक
नॉन टीचिंग पोस्ट का नाम                        तैनात अध्यापक
रजिस्ट्रार                                               डा. एम.एस. निज्झर
फाइनांस अफसर                                     डा. राधा कृष्ण अरोड़ा
कंट्रोल एग्जामिनेशन                               डा. जी.एस. बत्तरा
एडिशनल कंट्रोलर                                    डा. कंवलजीत सिंह
इंक्वायरी अफसर                                     डा. भूपिन्द्र विर्क
व्हीकल पास अफसर                                 डा. गौतम सूद
समूचे होस्टलों के वार्डन                            सभी अध्यापक
सीनियर प्रशासनिक अधिकारी                    डा. निशान सिंह
प्रैस और पब्लिकेशन                                  डा. सर्बजिंद्र सिंह
डी.पी.एम.                                               डा. बलविंद्र सिंह टिवाणा
डायरैक्टर यूथ वैल्फेयर                               डा. जी.एस. लाबी
एन.एस.एस.                                             डा. परमवीर सिंह
एस.सी. और बी.सी. सैल                              डा. अरुण बांसल
आर.टी.आई. सैल                                       डा. गुरचरण सिंह

 

नॉन टीचिंग कर्मचारियों में रोष
यूनिवर्सिटी के नॉन टीचिंग कर्मचारी लगातार यह मांग करते आ रहे हैं कि यूनिवर्सिटी के अकादमिक स्तर को ऊंचा उठाने के लिए अध्यापकों को अपने मुख्य काम बच्चों को पढ़ाने 
की तरफ ध्यान लगाना चाहिए और नॉन टीचिंग पोस्टों पर नॉन टीचिंग अधिकारियों को ही बिठाया जाए।

Sonia Goswami

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