डिस्लेक्सिया बीमारी नहीं, कमजोरी है

Saturday, Jul 16, 2016 - 12:33 PM (IST)

कुछ बच्चे पढ़ने में होशियार होते हैं तो कुछ ड्राइंग और डांस में। लेकिन कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जिन्हें पढने में तकलीफ होती हैं। ऐसे बच्चे ठीक से शब्दों की पहचान नहीं कर पाते और कई बार समझाने के बावजूद भी गलत ही लिखते हैं। पैरेंट्स और टीचर की कोशिशों के बाद भी उनमें कोई फर्क नजर नहीं आता तो समझ लें कि बच्चा डिस्लेक्सिया का शिकार है। ऐसे में बच्चों को मारने, गुस्सा होने और चिढ़ने की बजाए इस बात को गहराई से समझें। 

डिस्लेक्सिया पढ़ने-लिखने से जुड़ी एक अलग तरह की ही विकलांगता है। इससे पीड़ित व्यक्ति को पढ़ने, लिखने और स्पेलिंग लिखने या बोलने में मुश्किल होती है। बहुत सारे पैरेंट्स डिस्लेकिसया और स्लो लर्नर को एक ही बात समझ लेते हैं लेकिन दोनों में फर्क है। स्लो लर्नर वाले बच्चों की समझने की क्षमता धीमी होती है जबकि डिस्लेक्सिया में सिर्फ बच्चे का शब्द ज्ञान कमजोर होता है लेकिन बच्चे की बौद्धिकता के सामान्य स्तर से इसका कोई लेना-देना नहीं है। इन बच्चों की फोटोग्राफिक मैमोरी काफी तेज होती है। 

*डिस्लेक्सिया को समझें

यह कोई बीमारी नहीं है ना ही को मानसिक अयोग्यता। दुनिया में ऐसी बहुत सारी जानी मानी हस्तियां थी जो डिस्लेक्सिया का सामना कर चुके हैं। डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चों को खास ध्यान, समय और साथ की जरूरत है, फिर वो ठीक हो जाते हैं।

*डिस्लेक्सिया के लक्षण

-शब्द की पहचान करने में दिक्कत 

-पढ़ने, समझने और याद करने में परेशानी 

- स्पैलिंग समझने में तकलीफ 

-दाएं और बाएं में अंतर समझने में तकलीफ

-डिस्लेक्सिया से ग्रस्त व्यक्ति शब्दों या अक्षरों को उल्टा या गलत पढ़ता है। वे बी को डी समझ लेते हैं या 6 को 9 पढ़ बैठते हैं।

- वह धीरे-धीरे पढ़ता है और अधिकांश समय उम्मीद से अधिक संकोच करता है।

*क्या हो सकते हैं कारण

कुपोषण इसका सबसे बड़ा कारण बन सकता है। शुरुआती सालों में ही बच्चों के पोषण का खयाल नहीं रखा गया तो उसके मानसिक विकास पर इसका असर होना तय है। वहीं यह समस्या तंत्रिका तंत्र की समस्या है जो जन्म से पहले के कारकों पर निर्भर करती हैं। मां का गर्भावस्था में संतुलित आहार की कमी होना या धूम्रपान का सेवन करना भी इसके कारण हो सकते हैं। 

*किस उम्र के बच्चों में समस्या होती है

यह विकार 3-15 साल उम्र के लगभग 3 प्रतिशत बच्चों में पाया जाता है, यानी जब बच्चा स्कूल जाना शुरू कर देता है। डॉक्टरों के मुताबिक, ज्यादातर बच्चों की प्रॉब्लम स्कूल जाने पर सामने आती हैं। उन्हें लिखने में दिक्कत आने लगती हैं। माता पिता उनके इन्हीं लक्षणों को देखकर डिस्लेक्सिया का पता लगा सकते हैं।

*बच्चे को कैसे संभालें

इन बच्चों की समझ धीमी होती है, इसलिए इन्हें ज्यादा समय देने की आवश्यकता होती है।

-पढ़ाने का तरीका बदलें।

-चीजों को आसान करके बताएं, तोड़-तोड़कर समझाएं।

- पेंटिंग और कहानियों का सहारा लें। 

- बच्चे को जिस चीज अक्षर को पहचानने या लिखने में दिक्कत होती हैं उसे बार-बार 

 उन्हें बार-बार लिखवाएं। वोकेशनल ट्रेनिंग कराएं।

Advertising