बच्चों का प्रोजैक्ट वर्क पेरैंट्स की दुविधा

Sunday, Apr 26, 2015 - 10:13 AM (IST)

आज हर उस घर में लगभग एक ही तरह का दृश्य देखने को मिलता है, जहां स्कूल जाने वाले छोटे बच्चे हों, विशेषकर ऐसे जिन्होंने अभी स्कूल जाना शुरू ही किया हो और उन्हें ऐसे काम मिलते हैं, जिन्हें बच्चे कम और पेरैंट्स ज्यादा करते हैं । कई बार तो पेरैंट्स अपने बच्चे को स्कूल की पनिशमैंट से बचाने के लिए ऑफिस से छुट्टी तक ले लेते हैं । स्टेशनरी की दुकान पर भी बच्चों से ज्यादा पेरैंट्स की भीड़ अधिक नजर आती है ।

छोटे बच्चोंं पर बोझ 

नन्हे बच्चों को स्कूल में जो प्रोजैक्ट दिए जाते हैं, उन्हें तो वे कर ही नहीं सकते, सो मजबूरी में यह काम पेरैंट्स के करने से समय और पैसे की बर्बादी तो होती ही है, साथ ही पेरैंट्स भी उन्हें कंप्लीट करने के कारण तनाव में रहते हैं । जिसे बच्चा स्वयं बना नहीं सकता, वह उस प्रोजैक्ट से संबंधित विषय को समझ भी कैसे पाएगा ।

पेरैंट्स की परीक्षा

बच्चे को प्रोजैक्ट मिलने का अर्थ तो यही हुआ कि यह वास्तव में पेरैंट्स की परीक्षा है कि वह काम उन्हें आता है या नहीं । यदि नहीं तो फिर जिसे आता है, उससे करवा लो । अब जिन बच्चों के पेरैंट्स कम पढ़े-लिखे हैं, समझो उनकी तो शामत ही आ गई, क्योंकि इस कारण बच्चों को या तो नीचा देखना पड़ता है या उन्हें स्कूल से सजा मिलती है । घर आकर वे रोते या चीख-पुकार मचा देते हैं । 

स्कूल में हो हर काम

प्ले-वे और नर्सरी के बच्चे स्कूल में ड्राइंग से ले कर विभिन्न चीजें बनाने का काम पूरे परफैक्शन से करते हैं, परंतु घर पर मिले काम में ड्राइंग करते समय पूरी फिगर कलर के नीचे छिप जाती है, डांटने पर सहजता से कहेंगे कि आप भी मैडम की तरह हाथ पकड़ कर करवा दो । इन सारी बातों से यही निष्कर्ष निकलता है कि बच्चों के  पाठ्यक्रम में प्रोजैक्ट वर्क के नाम पर जो समय की बर्बादी, फिजूलखर्ची एवं पेरैंट्स  को अनावश्यक तनाव हो रहा है, वह बेवजह का है । इसलिए कुछ ऐसा किया जाए ताकि जिससे बच्चे कक्षा में ही सीखें । ऐसा कोई काम उन्हें न दिया जाए जिसे वे स्वयं न कर सकें। इससे बच्चों में एक गलत आदत भी पैदा होती है, वे अपना काम दूसरों से कराने की अपेक्षा करने लगते हैं । उनके भविष्य के लिए यह ठीक नहीं है। कक्षा में ही कुछ इस तरह की व्यवस्था होनी चाहिए कि बच्चे प्रोजैक्ट के  मूल उद्देश्य से परिचित हों तथा सहज ढंग से कम महंगे साधनों से कुछ सीखें ।

 

 

Advertising