पीसीओएस, एंडोमेट्रियोसिस, न्यूनतम एएमएच पर चर्चा और इलाज में देरी है गर्भधारण में कठिनाई का कारण
punjabkesari.in Friday, Dec 19, 2025 - 10:15 PM (IST)
(वेब डेस्क) कई महिलाएँ जब पहली बार फर्टिलिटी क्लिनिक आती हैं, तभी उन्हें कई ऐसी स्थितियों के बारे में पता चलता है जिनका असर उनकी प्रजनन क्षमता पर वर्षों से पड़ रहा होता है। कुछ शब्द ऐसे होते हैं जो सुने हुए होते हैं लेकिन उनकी भी संख्या कम ही होती है। पीसीओएस आजकल एक जाना-पहचाना शब्द है और कई लड़कियों को इसकी जानकारी किशोरावस्था या 20 वर्षीय दशक में चल जाता है। लेकिन इसकी जटिलताओं की जानकारी, जैसे कि अंडों की गुणवत्ता, अंडोत्सर्जन की नियमितता और लंबे समय की फर्टिलिटी पर इसका असर, ये उन्हें नहीं मालूम होता है।
डॉ. राखी गोयल, फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट, बिरला फ़र्टिलिटी एंड आईवीएफ, चंडीगढ़ का कहना है कि सिर्फ पीसीओएस नहीं है बल्कि लोगों को एंडोमेट्रियोसिस और न्यूनतम एएमएच के बारे में भी जानकारी की कमी है।ये ऐसी समस्याएँ हैं जो अचानक नहीं उभरतीं, बल्कि बहुत पहले से मौजूद होती हैं। बस इनकी पहचान अक्सर तब होती है जब दंपत्ति प्रेग्नेंसी प्लान करते हैं — क्योंकि इनके संकेत इतने हल्के होते हैं कि लोग उन्हें सामान्य मानकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। लेकिन जब तक इन पर ध्यान जाता है, तब तक वे अंडों की संख्या, गुणवत्ता और प्रेग्नेंसी की संभावना पर असर डाल चुकी होती हैं।
पीसीओएस सिर्फ ‘अनियमित पीरियड्स’ नहीं है:
पीसीओएस रीप्रोडक्टिव आयु की लगभग 6–13% महिलाओं को प्रभावित करता है। अनियमित पीरियड्स या अत्यधिक बालों की वृद्धि इसके आम लक्षण हैं, लेकिन यह एक जटिल मेटाबॉलिक और हार्मोनल स्थिति है, जो अंडे बनने की प्रक्रिया, अंडों की गुणवत्ता और एंडोमेट्रियल रिसेप्टिविटी को प्रभावित कर सकती है। जब पीसीओएस का समय पर मूल्यांकन नहीं होता, तब जीवनशैली सुधार या इंसुलिन प्रबंधन जैसी शुरुआती रणनीतियों का समय निकल जाता है।
एंडोमेट्रियोसिस: फर्टिलिटी को प्रभावित करने वाली स्थिति:
एंडोमेट्रियोसिस, रीप्रोडक्टिव आयु की लगभग 10% महिलाओं में पाई जाती है और इंफर्टिलिटी से जूझ रही महिलाओं में यह संख्या 25–50% तक पहुँच सकती है। दिक्कत यह है कि इसके लक्षण वर्षों तक नज़रअंदाज़ होते रहते हैं। अधिक दर्द हो या अनियमित पीरियड्स — कई बार इन्हें सामान्य मानकर जांच नहीं करवाई जाती। जब तक फर्टिलिटी प्रभावित होती है, तब तक पेल्विक एडहेशन्स, अंडाशय भंडार की कमी या एनेटॉमिकल बदलाव विकसित हो चुके होते हैं। इसका सीधा असर कम अंडों, कम भ्रूण और अधिक जटिल उपचार में दिखता है।
कम एएमएच: वह संकेत जो दिखता नहीं:
एएमएच आज अंडाशय भंडार का एक महत्वपूर्ण संकेत माना जाता है। न्यूनतम एएमएच का मतलब हो सकता है कि भंडार कम हो रहा है। 2022 के एक अध्ययन में पाया गया कि कम अंडाशय भंडार वाली महिलाओं में गर्भावस्था की संभावना कम होती है। चुनौती यह है कि इसकी गिरावट का अक्सर का पता नहीं चलता क्यूंकि नियमित पीरियड्स होने के बावजूद भंडार कम हो सकता है। ऐसे में, जब दंपत्ति उपचार के लिए आते हैं तो ‘अण्डों की संख्या’ कई बार पहले ही कम हो चुका होता है।
इंतज़ार क्यों ख़तरनाक है:
जब ये स्थितियाँ सिर्फ़ गर्भधारण की कोशिश के समय पता चलती हैं, तब कई कारक एक साथ नकारात्मक हो जाते हैं। उम्र के साथ अंडों में प्राकृतिक गिरावट तेज़ होती है। पीसीओएस और एंडोमेट्रियोसिस समय-से-गर्भधारण को लंबा कर सकती हैं और उपचार को जटिल बनाती हैं। न्यूनतम एएमएच का अर्थ है कम अंडे, कम भ्रूण और उपचार के कम विकल्प। जबकि शुरुआती पहचान जीवनशैली सुधार, समय पर निगरानी और फर्टिलिटी प्रिज़र्वेशन जैसे विकल्पों के लिए रास्ता खोलती है।
क्या किया जाना चाहिए:
महिलाओं को फर्टिलिटी स्वास्थ्य के बारे में जल्दी जागरूक किया जाना चाहिए, न कि सिर्फ तब जब वे गर्भावस्था की योजना बना रही हों। अंडाशय भंडार की नियमित जांच उपयोगी हो सकती है यदि पीसीओएस, एंडोमेट्रियोसिस या जल्दी मेनोपॉज़ का पारिवारिक इतिहास हो। एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण जैसे दर्द या असामान्य पीरियड्स को नजरअंदाज़ नहीं करना चाहिए। वहीं पीसीओएस में ध्यान सिर्फ़ साइकल नियंत्रण पर नहीं, बल्कि फर्टिलिटी तैयारी पर होना चाहिए।
संक्षेप: जब ये स्थितियाँ बिना पहचान के इंफर्टिलिटी की उम्र तक पहुँच जाती हैं, तब समय पर हस्तक्षेप का अवसर निकल चुका होता है। शुरुआती पहचान कहानी को प्रतिक्रिया से रणनीति में बदल देती है।
