फर्टिलिटी संकेत जिन्हें कभी नजरअंदाज न करें: जल्दी जांच क्यों है जरूरी?

punjabkesari.in Thursday, Sep 25, 2025 - 07:00 PM (IST)

फर्टिलिटी से संबंधित बातें अक्सर बहुत देर से शुरू होती हैं। जब तक कई दंपत्ति सलाह लेने आते हैं, तब तक वे कई सालों से कोशिश कर रहे होते हैं, और नहीं जानते कि उनके शरीर में पहले से ही कुछ वार्निंग साइन्स मौजूद थे। डॉ. राखी गोयल, फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट, बिरला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ, चंडीगढ़  का कहना है कि ये संकेत हमेशा बहुत स्पष्ट नहीं होते, लेकिन यह शरीर का ध्यान खींचने का तरीका होता है, 

ऐसे पीरियड्स जो पैटर्न में ना हों
मेंस्ट्रुअल साइकल किसी महिला के रिप्रोडक्टिव हेल्थ को समझने का सबसे आसान माध्यम है। ऐसे साइकल्स जो अचानक आ जाएं या बिल्कुल रुक जाएं, पीसीओएस (PCOS) या थाइरोइड की समस्याओं के निशान हो सकते हैं। दोनों ही अवस्थाएं असामान्य नहीं हैं फिर भी ये ओवुलेशन में दिक्कतें ला सकती हैं और जाँच ना की जाए तो कॉन्सेप्शन (conception) को मुश्किल बना देंगीं।  

ऐसा दर्द जो 'सामान्य' से ज्यादा हो
पीरियड्स के साथ कुछ हद तक  दर्द और असुविधा होना सामान्य है। लेकिन ऐसा दर्द जिससे महिलाओं को काम पर जाने में बाधा पड़े या समय के साथ बढ़ जाए, यह चिंता का विषय हो सकता है। यह एंडोमेट्रियोसिस या पेल्विस में एक क्रोनिक इन्फेक्शन हो सकता है और दोनों ही फर्टिलिटी की क्षमता को धीरे-धीरे घटा सकते हैं। 

बार-बार मिसकैरेज होना
एक बार के मिसकैरेज को आमतौर पर चिंताजनक न मानकर दुर्भाग्यपूर्ण माना जा सकता है। लेकिन जब ये एक से ज्यादा बार हो जाए तो ध्यानपूर्वक जांच करने की आवश्यकता होती है। यूटरस में कोई बनावटी  दिक्कत, जैनेटिक कारण, या ब्लड-क्लॉटिंग जैसी समस्याओं का योगदान हो सकता है। प्रारम्भिक जांच दंपत्तियों को अधिक स्पष्टीकरण और व्यक्तिगत देखभाल के माध्यम से आगे बढ़ने में मदद करता है। 

पुरुषों में होने वाली दिक्कतें
यह मान लेना बहुत आसान है कि फर्टिलिटी की समस्या महिलाओं को प्रभावित करती है, जबकि वास्तव में मेल-फैक्टर लगभग आधे मामलों के लिए जिम्मेदार है। कम लिबीडो (libido) वाले पुरुष, इरेक्टाइल (erectile) समस्या या फिर जिनमें टेस्टिकुलर इंजरी का इतिहास रहा है, ऐसे लोगों को सीमन (semen) की जांच कराने में देरी नहीं करनी चाहिए। यह एक आसान और छोटा सा प्रोसेस होता है और अक्सर इससे समस्या का ठीक कारण मालूम पड़ जाता है। 

व्यापक स्तर के स्वास्थ पर प्रभाव 
लंबे समय के कंडीशंस जैसे कि डायबिटीज, ओबेसिटी, या ऑटोइम्यून (auto-immune) डिजीज पुरुषों व महिलाओं में धीरे-धीरे असर डालने लगते हैं। ऐसा कई बार बीमारियों की वजह से होता है और कई बार इनमें बताई गईं दवाइयों की वजह से भी होता है। सामान्य हेल्थ को ठीक रखना और फर्टिलिटी को बढ़ाना अक्सर साथ-साथ चलते हैं। 

शुरुवाती जांच इसमें क्यों प्रभावी है
इन लक्षणों की जांच में देरी हो जाने से अक्सर दंपत्ती ऐसी स्थिति में पहुंच जाते हैं जहां कई बार के असफल प्रयासों के बाद ही ज़रूरी मदद उन्हें मिलती है। फर्टिलिटी स्वाभाविक रूप से उम्र के साथ घटने लगती है, किन्तु छिपी हुई समस्याओं से ये और भी तेज़ी से घटती है। शुरुवाती जांच का यह मतलब नहीं है कि तुरंत आधुनिक उपचार अपना लिया जाए; इसका अर्थ ये है कि खुद के रिप्रोडक्टिव हेल्थ को समझना,  जहां सुधार की गुंजाइश है उसे सुधारना और वास्तविक समयसीमा के साथ सबकुछ तय करना। 

फर्टिलिटी केयर डर पैदा करने के लिए नहीं है; यह जागरूकता बढ़ाने के लिए है। जितना जल्दी दंपत्ति अपने शरीर में आने वाले लक्षणों पर ध्यान देंगे, उतने ही विकल्प उनके पास होंगे और मनचाहा परिवार बनाने के मौके और भी मज़बूत हो जाएंगे।


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Content Editor

Diksha Raghuwanshi

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