तबाही देने वाली नदी को इंजीनियर ने कर दिया लापता

Wednesday, Aug 21, 2019 - 11:13 AM (IST)

नई दिल्ली: दिल्ली के गांवों में नाक तक पानी, मॉडल टाउन, जहांगीरपुरी वालों को अपने घरों की छत पर रात बितानी पड़ी। 1978 में यह तस्वीर यमुना और साहिबी के उफान से बनी, लेकिन उसके बाद एक इंजीनियर ने साहिबी को ही दिल्ली में इतिहास बना दिया। राजस्थान से चल कर हरियाणा होते हुए दिल्ली के ढांसा से राजधानी पहुंचने वाली साहिबी नजफगढ़ झील में करीबन 120 वर्ग किलोमीटर में फैल जाती और नजफगढ़ नाले में मिलकर यमुना में समाप्त होती। 
 

जहांगीरपुरी, निरंकारी कालोनी, मॉडल टाउन के अलावा बाहरी दिल्ली के करीबन दो दर्जन गांवों में पांच-पांच फुट पानी भरने के बाद हजारों हेक्टेयर में फसल भी बर्बाद हो गई। राजस्थान, हरियाणा में भी साहिबी ने 1978 में जमकर तबाही मचाई। साहिबी नजफगढ़ झील से आगे नजफगढ़ नाले के जरिए 57 किलोमीटर दिल्ली में होते हुए 10.93 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बहती और फिर यमुना में मिल जाती। ‘वर्ष 1977 में जब भयंकर बाढ़ आई तो राजस्थान भी प्रभावित हुआ और यह आलम उसकी कुल करीबन 300 किलोमीटर लंबाई में आने वाले हर शहर का हुआ। वर्ष 1978 में मुझे इंजीनियरिंग की डिग्री के बाद मुझे सीधा इस नदी के सर्वे काम दिया गया। 


बाढ़ से निपटने का नहीं है कोई प्लान
नदी का सर्वे करके नदी पर जगह जगह  मिट्टी के बांध बनाने का प्रस्ताव दिया। राजस्थान सरकार ने इसे मान लिया और इससे पानी रुका और आसपास सिंचाई भी होने लगी। इसके बाद फिर राजस्थान साहिबी नदी और नजफगढ़ नाले में इतना पानी नहीं आया और न ही दिल्ली में बाढ़ आई।’ बाढ़ एवं नियंत्रण विभाग के पूर्व प्रमुख व केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के पूर्व अतिरिक्तमहानिदेशक एमसीटी परेवा यह बताते हुए कहते हैं कि हरियाणा सरकार द्वारा इस पानी को बचाने, बाढ़ से निपटने के लिए जयपुर दिल्ली हाईवे पर मसानी गांव में मसानी बैराज बनाना शुरू किया गया, लेकिन योजना फेल हो गई। रेवाड़ी, धारूहेड़ा के पास इस बैराज से साहिबी नदी के पानी को हरियाणा में रोकना था ताकि बाढ़ न आए और सिंचाई के लिए इस्तेमाल भी हो सके लेकिन फिर इस नदी में पानी नहीं आया और अब यह दिल्ली में गुम हो चुकी है। 

Anil dev

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