रासायनिक छिड़काव व गर्मी के चलते दिल्ली सहित उत्तर भारत के कई इलाकों में हुई चमगादड़ों की मौत

Sunday, May 31, 2020 - 09:52 PM (IST)

नई दिल्ली/ डेस्क। दिल्ली सहित उत्तर भारत में चमगादडों की बढी संख्या में मौत की वजह सेनेटाइजेशन के दौरान जहां रसायनों के प्रयोग को बताया जा रहा है। वहीं सबसे बडा कारण चमगादड शोधकर्ताओं को गर्मी का अधिक बढना व पानी की कमी लग रही है।
 

शोधकर्ताओं का कहना है कि गर्मी बढने व पानी की कमी के चलते चमगादडों को ब्रेन हेमरेज हुआ और वो अचानक पेडों से गिरकर मरने लगे। हालांकि चमगादडों के मरने से लोगों में दहशत हो गई है क्योंकि कोविड-19 के फेलने की वजह इन्हें माना जा रहा है।

 

गुरू गोविंद सिंह यूनिवर्सिटी (आईपीयू) के असिस्टेंट प्रोफेसर सुमित दुकिया ने कहा कि हाल ही में दक्षिण एशियाई वैज्ञानिकों और चमगादड सरंक्षकर्ताओं के एक समूह ने चमगादड और कोविड-19 को लेकर अपनी रिपोर्ट जारी कर कहा था कि कोविड-19 फेलने में चमगादडों की कोई भूमिका प्रत्यक्ष रूप से अभी तक सामने नजर नहीं आई है। लेकिन लोग इन्हें कारक मानकर धुआं करके व खंडरों की दीवारों को सील कर चमगादड और उनके बच्चों को मार रहे हैं।
 

वहीं उत्तर भारत में लगातार बढ़ती गर्मी के चलते दिल्ली-एनसीआर, यूपी व बिहार में लगातार चमगादडों की मौत के मामले सामने आ रहे हैं। जिनमें सेनेटाइज के लिए प्रयोग किए गए कैमिकल्स से ज्यादा बढती गर्मी ने अहम भूमिका निभाई है। जबकि चमगादड पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने कहा कि कई इलाकों में डर कर लोग चमगादडों को भी मार रहे हैं जोकि निंदनीय है।
 

उन्होंने बताया कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के हालिया रिपोर्ट में दक्षिण एशियाई चमगादडों की सिर्फ 2 प्रजातियों में ही कोविड-19 की खोज हुई है परंतु उनसे अभी तक किसी भी इंसानी जिंदगी के खतरे की कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई है। बता दें कि देश के कई जिलों में वन विभाग के अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में गर्मी व पानी की कमी के चलते चमगादडों को ब्रेन हेमरेज होने की वजह से बडी संख्या में मरने बात स्वीकार की है।
 

परागित करते हैं चमगादड
प्रो‐ दुकिया ने बताया कि चमगादड पारिस्थितिक तंत्र में महत्वपूर्ण सेवाएं देते हैं, फलखाने वाले चमगादडों की कुछ प्रजातियां आम, केले सहित अन्य फूलों को परागित करने के साथ ही कई अन्य व्यवसायिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण पौधे भी परागण के लिए अधिकतर इन्हीं पर आधारित रहते हैं। जबकि कुछ प्रजातियों के चमगादड कीट खाते हैं जोकि चावल, मक्का, कपास और संभावित रूप से चाय बागानों  में कीटों के विशाल भक्षक होते हैं।

Murari Sharan

Advertising