सीलिंग पीड़ित कारोबारियों ने नरेंद्र मोदी को लिखा खत, मांगी राहत

Thursday, Feb 08, 2018 - 12:18 PM (IST)

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित निगरानी समिति की ओर से की जा रही सीलिंग से कारोबारियों की परेशानी बरकरार है। बुधवार को चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चिट्ठी भी लिखी। इसमें सीलिंग से राहत दिलाने की अपील की गई है। पत्र में मास्टर प्लान 2021 में बदलाव का जिक्र किया है। व्यापारियों ने पीएम से मिलने का वक्त भी मांगा है।

 

सीटीआई का दावा है कि उनके साथ दिल्ली के करीब 750 ट्रेड एसोसिएशंस जुड़े हैं। जनवरी और फरवरी में ‘दिल्ली बंद’ के बाद सीटीआई ने केंद्र सरकार को अनिश्चितकालीन हड़ताल और भूख हड़ताल की चेतावनी दी थी। सीटीआई के संयोजक बृजेश गोयल कहते हैं कि दिल्ली में सीलिंग को लेकर कई सुझाव व्यापारियों से मिले हैं। पीएम को लिखे पत्र में इनका ब्यौरा दिया गया है। सीटीआई के महासचिव विष्णु भार्गव का दावा है कि ‘दिल्ली बंद’ से कारोबार ठप हुआ है। इसमें करीब 2 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। व्यापारियों के सामने दुकान बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

‘सीटीआई’ के सुझाव 

-  कन्वर्जन चार्ज/पार्किंग चार्ज पर लगने वाली पेनल्टी और ब्याज को पूरी तरह से वापस लिया जाए, जो दुकानदार पहले कन्वर्जन चार्ज जमा करवा चुके हैं, उनसे दोबारा न वसूला जाए
 

-  वॉल्ड सिटी का स्पेशल स्टेटस तुरंत स्थापित किया जाए और कश्मीरी गेट, चांदनी चौक,  सदर बाजार, चावड़ी बाजार, खारी बावली व करोल बाग जैसे मुगल कालीन बाजारों को कन्वर्जन चार्ज से पूरी तरह से छूट दी जाए
 

-  कन्वर्जन चार्ज की दरें कम की जाएं और जिन बाजारों से एमसीडी कन्वर्जन और पार्किंग चार्ज वसूल चुकी है, वो पैसा उस बाजार के विकास पर खर्च किया जाए
 

- वर्षों से लंबित 351 सड़कों को कॉमर्शियल अथवा मिक्स लैंड यूज के लिए अधिसूचित किया जाए
 

-  एफएआर को 400 किया जाए और पार्किंग तथा फायर एनओसी की अनिवार्यता को खत्म किया जाए
 

- सीलिंग मुद्दे पर प्रस्ताव तैयार करने के लिए कमेटी गठित की जाए, जिसमें डीडीए अधिकारी, एमसीडी अधिकारी, दिल्ली सरकार के प्रतिनिधि, एलजी, शहरी विकास मंत्रालय के पदाधिकारी व व्यापारी प्रतिनिधि शामिल हों
 

- डीडीए ने अभी तक यह जानकारी नहीं दी है कि कन्वर्जन चार्ज कब तक लिया जाएगा और इस पर ब्याज घटाने के लिए भी कुछ नहीं कहा है। डीडीए को इन बिन्दुओं को स्पष्ट करना चाहिए
 

- मास्टर प्लान 2021 के अनुसार जब तक स्पेशल एरिया का रिडवलपमेंट प्लान लागू नहीं हो जाता, तब तक स्पेशल एरिया में सीलिंग की कोई कार्यवाही नहीं होनी चाहिए
 

- एग्रीकल्चर लैंड या अन्य एरिया में बने वेयरहाउस या गोदाम को व्यापारिक गतिविधियां करने की छूट दी जाए

सीलिंग के लिए नगर निगम को जिम्मेदार ठहराया

कॉन्फडेरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने सीलिंग के लिए नगर निगम को ही मुख्य रूप से जिम्मेदार ठहराया है। कैट का कहना है कि इस मामले में दिल्ली सरकार, डीडीए एवं अन्य निकायों के अधिकारियों की लापरवाही के कारण भी सीलिंग की समस्या खड़ी हुई है। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की निगम कानून 1957 के मूल प्रावधानों को लेकर सर्वोच्च न्यायलय को अंधेरे में रखा गया है और मास्टर प्लान 2021 में नगर निगम पर जो जिम्मेदारियां दी थीं उनको निभाने में नगर निगम बुरी तरह असफल रहा है। उस दिशा में 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी एक कदम तक नहीं उठाया गया है।  

 

खंडेलवाल ने बताया की मास्टर प्लान 2021 के विभिन्न प्रावधानों के अंतर्गत जहां स्पेशल एरिया के री.डेवलपमेंट प्लान बनाना था वहीं मास्टर प्लान के  क्लॉज 2,3 के तहत हाईवे कॉरिडोर को चिन्हित करना, 5, 4  के अनुसार डिस्ट्रिक्ट केंद्र, खोलना आदि तय किया गया है।

 

खंडेलवाल ने कहा कि अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारियां समय पर गंभीरता के साथ पूरी की होती तो दिल्ली में बड़ी मात्रा में कॉमर्शियल स्थान उपलब्ध हो जाते और सीलिंग की नौबत नहीं आती। नगर निगम और अन्य निकायों को वर्तमान स्थिति के लिए दोषी ठहराना चाहिए जबकि इसके लिए व्यापारियों को निशाना बनाया जा रहा है। 

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