राजनाथ सिंह बोले- संविधान के मूल्यों को आत्मसात कर नए भारत का निर्माण करें युवा

Wednesday, Nov 18, 2020 - 03:57 PM (IST)

नेशनल डेस्क: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने युवाओं से संविधान के मूल्यों को आत्मसात करते हुए नये भारत के निर्माण में हरसंभव योगदान देने को कहा। राजनाथ ने छठे संविधान दिवस से एक हफ्ते पहले आज युवा संगठनों द्वारा,‘कॉन्स्टिट्यूशन डे यूथ क्लब एक्टिविटीज'के उद्घाटन के अवसर पर कहा कि युवाओं के इस देश में, युवा शक्ति को मजबूत करने, और उसे आगे ले जाने के लिए राष्ट्रीय कैडेट कोर, नेहरू युवा केंद्र संगठन, राष्ट्रीय सेवा योजना , हिंदुस्तान स्काउट्स एंड गाइड्स, भारत स्काउट्स एंड गाइड्स और ‘रेड क्रॉस सोसाइटी' जैसी अनेक संस्थाएं काम कर रही हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने भी समय-समय पर सभी युवा संगठनों से एक प्लेटफार्म पर आकर, देश और समाज से जुड़े मुद्दों पर लोगों में जागरूकता फैलाने तथा नए भारत के निर्माण में योगदान का आह्वान किया है।

 

संविधान के मूल्यों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह किसी न किसी रूप में देश का सबसे अहम मार्गदर्शक है। यह न केवल हमारी परंपरा और सांस्कृतिक विरासत, बल्कि दुनिया के अनेक संविधानों के श्रेष्ठ विचारों का यह निचोड़ है। रक्षा मंत्री ने कहा कि संविधान निर्माताओं का मानना था कि भारत जैसे विविधता वाले राष्ट्र को, एक सूत्र में बांधकर रखने वाला हमारा संविधान ही है। यह संविधान दुनियाभर में भारत की पहचान है क्योंकि यह भारत के लोगों का, भारत के लोगों द्वारा, और भारत के लोगों के लिए है। राजनाथ ने कहा कि बाबा साहेब अम्बेडकर ने अपने पहले ही साक्षात्कार में यह स्पष्ट किया था, कि संविधान का अच्छा या बुरा साबित होना, उसके नियमों पर नहीं, बल्कि उसे अमल में लाने वाले लोगों पर निर्भर करेगा। यानि हम और आप पर यह निर्भर करता है, कि हमारा देश, हमारी व्यवस्था, कैसे, और किस दिशा में प्रगति करेगी।'' 

 

संविधान में उल्लिखित कर्तव्यों तथा अधिकारों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी कहते थे कि हमारे कर्तव्य में ही हमारा अधिकार भी निहित है। संविधान पर अमल को महत्वपूर्ण बताते हुए राजनाथ ने कहा कि इसे अच्छे ढंग से अमल में लाना बेहद जरूरी है। साथ ही देशवासियों का संवैधानिक मूल्यों के प्रति सचेत होना भी उतना ही जरूरी है। केंद्रीय रक्षा मंत्री ने कहा कि संविधान के प्रति लोगों को जागरूक करने का यह मतलब नहीं, कि आप उन्हें संविधान के तथ्य रटाएं कि हमारे संविधान में इतने भाग हैं, इतने आर्टिकल हैं। इसकी प्रस्तावना का पहला शब्द, यानी ‘हम‘, अपने आप में बहुत कुछ कह देता है। इस भावना को हमें समझना, और लोगों को समझाना भी है। ‘नए भारत' के निर्माण में यह आवश्यक, और महत्वपूर्ण कदम होगा।

Seema Sharma

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