किसानों को मिले MSP का विधिक अधिकार: येचुरी
Friday, Jul 06, 2018 - 01:04 PM (IST)
नेशनल डेस्क: माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने फसल की कीमत तय करने वाले ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ (एमएसपी) को किसानों का कानूनी अधिकार का दर्जा देने की मांग की। उन्होंने आज कहा कि ऐसा किये बिना किसानों को उनकी मेहनत का वाजिब दाम नहीं मिल सकता। येचुरी ने कहा कि सरकार एमएसपी के आधार पर फसलों की कीमत तो तय कर देती है लेकिन वास्तव में किसानों को इससे कम कीमत पर अपनी फसल बेचनी पड़ रही है। इस हकीकत को देखते हुये सरकार को एमएसपी पर कृषि उत्पाद बेचने का किसानों को विधिक अधिकार देने के लिये कानून बनाना चाहिये।
This has been our demand too, and we wrote to the PM about it, on June 15, 2017. What we witnessed with MSP rates in the past four years makes it absolutely essential that there be a Right to MSP for farmers. #RightToMSP pic.twitter.com/oDxM5yYGVT
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) July 6, 2018
येचुरी ने एमएसपी का किसानों को अधिकार मिलने की पैरवी करते हुये ट्वीट कर कहा कि यह हमारी पुरानी मांग रही है। इस बारे में हमने 15 जून, 2017 को प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा था। उन्होंने कहा कि पिछले चार साल का अनुभव इस बात की जरूरत को साबित करता है कि किसानों को एमएसपी का अधिकार मिले। उन्होंने इसे संविधान में र्विणत अन्य मौलिक अधिकारों में शामिल करने की जरूरत पर बल दिया।
If you had any doubts, this report shows clearly how the hardworking Indian farmers' revenue from farming has come down, yes COME DOWN by 6% every year since 2014. You now know why this govt has stopped released data of farmer suicides. It has a lot to hide. pic.twitter.com/JfM3qFdlqA
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) July 6, 2018
माकपा नेता ने साल 2014 से 2016 के दौरान कृषि क्षेत्र की आय और इसके राजस्व में छह प्रतिशत की गिरावट आने से जुड़ी एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुये कहा कि इससे किसानों की बदहाली का पता चलता है। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा कि गर आपको कोई भ्रम है तो यह रिपोर्ट बताती है कि किस तरह कठोर परिश्रम करने वाले भारतीय किसानों की कृषि आधारित आय में सालाना छह फीसदी गिरावट आयी है। अब आप समझ सकते हैं कि सरकार ने किसानों की आत्महत्या से जुड़े आंकड़े जारी करना बंद क्यों कर दिये हैं। जबकि सरकार के पास छुपाने को बहुत कुछ है।