एक्सरे के 121 वर्ष : GMCH-32 ने मनाया विश्व रेडियोग्राफी दिवस, खतरनाक पर आवश्यक है मर्ज की खोज के लि

Wednesday, Nov 09, 2016 - 09:05 AM (IST)

चंडीगढ़(रवि) : एक्सरे का आविष्कार 8 नवम्बर, 1895 में हुआ था जो 121 वर्ष का हो गया है, गवर्नमैंट मैडीकल कालेज एवं अस्पताल-32 के रेडियोलॉजी विभाग ने मंगलवार को विश्व रेडियोग्राफी दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया। विश्व रेडियोग्राफी दिवस एक्स-रेज के अविष्कारक सर विलहम कॉनरैड रॉटजन के सम्मान में मनाया जाता है। विश्व रेडियोग्राफी दिवस के अवसर पर बी.एससी. रेडियोलॉजी के छात्रों ने रेडीऐशन को लेकर एक जागरूकता कार्यक्रम का भी आयोजन किया। जिसमें कई इंस्टीच्यूट्स के छात्रों ने भाग लिया। रेडियोलॉजी विभाग की एच.ओ.डी. प्रोफैसर सुमन कोचर ने कहा कि एक्स-रेज़ की मदद से जहां लोगों को जीवनदान मिल रहा है वहीं इनका ज्यादा इस्तेमाल काफी घातक है। उन्होंने कहा कि मरीज का एक सी.टी. स्कैन छाती के 400 एक्स-रेज़ के बराबर है, और बच्चों पर तो इसका और ज्यादा बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे लोगों में जैनेटिक दुष्प्रभाव भी हो जाते हैं जो आने वाली पीढिय़ों में पाए जा सकते हैं।

 

एक्स-रे से हो रही कई बीमारियां :
विभाग के को-आर्डीनेटर लक्ष्मीकांत तिवारी ने कहा कि काफी केसों में इलाज के लिए एक्स-रे का इस्तेमाल जरूरी होता हैं लेकिन बार-बार एक्स-रे करवाने के घातक परिणाम भी हो सकते हैं। इससे कैंसर भी हो सकता है। इसके अलावा मातियाबिंद भी हो सकता है। लक्ष्मीकांत ने कहा कि एक्स-रे के ज्यादा प्रयोग से गर्भवती महिलाओं के डी.एन.ए. में जैनेटिक बदलाव हो सकते हैं जो हानिकारक हैं। ये बदलाव होने वाले बच्चे पर बुरा असर डाल सकतें है। मैडीकल में एक्स-रे का इलाज तो होता रहेगा मगर हम थोड़ी सी सावधानी से इसके दुष्प्रभावों से बच सकतें है। जैसे जब भी जरूरत हो तो क्वालिफाइड रेडियोग्राफर से ही एक्स-रे करवाएं। वहीं अगर फिर एक्स-रे करना पड़े तो डाक्टर से इसका कारण जरूर पूछें। अगर आपको एक्स-रे के बाद कोई समस्या महसूस होती है तो डाक्टर को अवश्य बताएं।

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