ओडिशा सरकार का ऐतिहासिक कदम: महिला कर्मचारियों को मिलेगी 12 दिन की पीरियड्स लीव
punjabkesari.in Monday, Nov 11, 2024 - 11:58 PM (IST)
नेशनल डेस्कः ओडिशा सरकार ने अपने महिला कर्मचारियों के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है, जिसके तहत अब उन्हें मासिक धर्म (पीरियड्स) के दौरान शारीरिक परेशानी को ध्यान में रखते हुए हर महीने एक अतिरिक्त छुट्टी दी जाएगी। इस निर्णय के बाद महिला कर्मचारियों को सालभर में कुल 12 दिन की अतिरिक्त आकस्मिक छुट्टी (कैजुअल लीव) मिलेगी, जो वर्तमान में उपलब्ध 10 दिन के सामान्य आकस्मिक अवकाश (सीएल) और 5 दिन की विशेष आकस्मिक छुट्टी (स्पेशल सीएल) से अलग होगी।
यह नीति राज्य सरकार के महिला कर्मचारियों के लिए लागू की जाएगी और इसका लाभ 55 वर्ष तक की महिला कर्मचारियों को मिलेगा। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने एक आधिकारिक नोट में बताया कि इस अवकाश का उपयोग महिलाएं मासिक धर्म के दौरान अपनी शारीरिक स्थिति के अनुसार कर सकेंगी। हालांकि, यह छुट्टी अगले महीने में नहीं जमा की जा सकेगी और यह केवल उसी महीने में उपयोग की जा सकती है, जब इसे प्रदान किया जाएगा।
यह नई नीति मार्च 2024 में जारी किए गए एक पूर्व निर्देश को बदलने के बाद लागू की गई है, जिसमें महिला कर्मचारियों को सालभर में 10 दिन का अतिरिक्त आकस्मिक छुट्टी देने की व्यवस्था थी। अब सरकार ने इसे बढ़ाकर 12 दिन कर दिया है, ताकि महिला कर्मचारियों को और अधिक आराम और स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं मिल सकें।
मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) द्वारा जारी किए गए आधिकारिक नोट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि राज्य सरकार की महिला कर्मचारियों को वार्षिक 12 दिन का अतिरिक्त आकस्मिक अवकाश मिलेगा, जो वर्तमान में दिए जाने वाले 15 दिनों के अवकाश से अलग होगा।
इस पहल का उद्देश्य कार्यस्थल पर महिलाओं की स्वास्थ्य और कल्याण को प्राथमिकता देना है, ताकि वे अपने मासिक धर्म के दौरान आराम से काम कर सकें। इस नीति के तहत महिला कर्मचारियों को अब पीरियड्स लीव के रूप में एक अलग छुट्टी दी जाएगी, जो उनकी कार्य क्षमता और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकती है।
डिप्टी मुख्यमंत्री ने इस नीति की घोषणा करते हुए कहा था कि यह कदम महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक बदलाव है, जो उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बनाए रखने में मदद करेगा। ओडिशा सरकार का यह कदम कार्यस्थल पर महिलाओं के अधिकारों और उनके कल्याण को सुनिश्चित करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। राज्य सरकार का मानना है कि इस निर्णय से महिला कर्मचारियों को अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने का अवसर मिलेगा और वे अपनी कार्य क्षमता को बेहतर तरीके से बनाए रख सकेंगी।