बॉयफ्रेंड से बच्चे को छुपाने के लिए महिला ने किया कुपोषण, कोर्ट ने सुनाई सख्त सजा
punjabkesari.in Wednesday, Nov 27, 2024 - 02:36 PM (IST)
नेशनल डेस्क: एक दिल दहला देने वाली घटना में, एक महिला ने अपने बच्चे को तीन साल तक अपने परिवार और बॉयफ्रेंड से छुपाकर उसे बुरी तरह से उपेक्षित किया और कुपोषित किया। यह मामला चेस्टर क्राउन कोर्ट में आया, जहां अदालत ने महिला को सजा सुनाई। घटना ने पुलिस और सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी झकझोर कर रख दिया, और यहां तक कि पुलिसकर्मी इस भयावह घटना को सुनकर आंसू बहाने से खुद को रोक नहीं पाए।
तीन साल तक बच्चे को छुपाकर रखा
यह घटना चेशायर के एक छोटे से इलाके की है। आरोपी महिला ने अपने बच्चे को अपने अन्य बच्चों और बॉयफ्रेंड से पूरी तरह से छुपा लिया था। महिला ने अपने बच्चे को एक छोटे से दीवान के बिस्तर के दराज में बंद कर रखा था, ताकि कोई उसे देख न सके। यह बच्चा पूरी तरह से उपेक्षित था, और उसे न तो सही से खाना दिया जाता था, न ही पानी। महिला ने सिरिंज के जरिए बच्चे को दूध और वीटाबिक्स पिलाने का तरीका अपनाया। बच्चे को पाला-पोसा नहीं गया था और उसकी शारीरिक स्थिति काफी खराब थी।
बॉयफ्रेंड को कैसे हुई जानकारी?
महिला के बॉयफ्रेंड को इस भयावह सच्चाई का पता तब चला जब वह एक दिन घर में था और बाथरूम से बाहर आकर उसने बच्चे की आवाज सुनी। बच्चे की आवाज सुनकर उसने कमरे की तलाशी ली, और वहां उसे बच्चा दीवान के दराज में बंद पड़ा मिला। यह दृश्य देखकर वह सन्न रह गया। बच्चा कुपोषण का शिकार था और उसकी हालत बहुत खराब थी।
पुलिस और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कार्रवाई की
बॉयफ्रेंड ने यह जानकारी सामाजिक कार्यकर्ताओं को दी, जिन्होंने तुरंत बच्चे को सुरक्षित स्थान पर भेजा। इसके बाद पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए घर में छानबीन की और बच्चे को अपनी सुरक्षा में ले लिया। जब पुलिस ने महिला से पूछताछ की, तो उसने यह दावा किया कि उसे यह नहीं पता था कि वह गर्भवती थी। महिला ने यह भी कहा कि जब उसने बच्चे को जन्म दिया, तो वह "डरी हुई" थी और उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसे क्या करना चाहिए।
महिला का बर्ताव और उसके अन्य बच्चों के साथ
महिला के अन्य बच्चे भी थे, लेकिन उसने सबसे छोटे बच्चे को सबसे ज्यादा छुपाकर रखा। वह अपने दूसरे बच्चों को स्कूल भेजती थी और काम पर जाती थी, लेकिन छोटे बच्चे को हमेशा अकेला छोड़ देती थी। बॉयफ्रेंड के साथ रहने के दौरान भी, महिला बच्चे को दूसरे कमरे में बंद करके छोड़ देती थी और उसे अपने आप में व्यस्त रहती थी।
पुलिस ने मामले की जांच की
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, पुलिस ने गहरी जांच की। मामले में शामिल दो पुलिसकर्मी इस घटना को सुनकर रो पड़े, क्योंकि बच्चा इतनी क्रूरता और उपेक्षा का शिकार था कि वे इसे सहन नहीं कर सके। पुलिस ने बच्चे की हालत को देखकर उसे तत्काल इलाज के लिए अस्पताल भेजा, जहां डॉक्टरों ने उसे गंभीर कुपोषण का शिकार पाया।
कोर्ट का फैसला
चेस्टर क्राउन कोर्ट ने जब इस मामले को सुना, तो जज स्टीवन एवरेट ने महिला के किए गए कृत्य को "अविश्वसनीय" और "भयावह" करार दिया। जज ने कहा कि महिला ने जानबूझकर अपने बच्चे को प्यार, स्नेह और उचित देखभाल से वंचित रखा, और यह सब पूरी तरह से सावधानीपूर्वक किया गया था। जज ने यह भी कहा कि इस मामले में बच्चे का मानसिक और शारीरिक शोषण हुआ है, और यह बहुत ही गंभीर अपराध है। कोर्ट ने महिला को सजा सुनाते हुए कहा कि इस प्रकार की घटना किसी भी सभ्य समाज में बर्दाश्त नहीं की जा सकती। इसके अलावा, यह मामला समाज में बच्चों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा की महत्वपूर्ण याद दिलाता है।
महिला का बचाव
महिला ने पुलिस को यह भी बताया कि उसने बच्चा पैदा होने के बाद इस बारे में किसी को नहीं बताया, क्योंकि वह डर गई थी। उसने यह दावा किया कि उसे अपने बच्चे को पालने में कठिनाई हुई, लेकिन पुलिस और कोर्ट ने इस बचाव को मानने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने माना कि महिला की क्रूरता जानबूझकर थी और उसने अपने बच्चे की पूरी तरह से अनदेखी की थी। यह मामला न केवल एक मां की हैवानियत को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना कितनी महत्वपूर्ण है। बच्चों के साथ हो रहे इस प्रकार के शोषण और हिंसा को रोकने के लिए समाज को जागरूक होने की जरूरत है। यह घटना समाज को यह सिखाती है कि बच्चों के प्रति संवेदनशीलता, देखभाल और प्यार कितनी महत्वपूर्ण हैं, और हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी बच्चे को इस तरह की उपेक्षा और शोषण का शिकार नहीं होना चाहिए।
सजा और भविष्य की चेतावनी
महिला को अदालत द्वारा सुनाई गई कड़ी सजा और इस मामले की सार्वजनिकता यह संदेश देती है कि बच्चों के साथ इस प्रकार का अत्याचार बिल्कुल भी सहन नहीं किया जाएगा। समाज, पुलिस और न्याय व्यवस्था को मिलकर बच्चों के अधिकारों का पूरी तरह से सम्मान करना चाहिए और बच्चों के लिए एक सुरक्षित और खुशहाल भविष्य सुनिश्चित करना चाहिए।