एमनेस्‍टी इंडिया के पूर्व प्रमुख के खिलाफ लुकआउट नोटिस तुरंत वापस लें: कोर्ट का CBI को निर्देश

Thursday, Apr 07, 2022 - 07:42 PM (IST)

नेशनल डेस्क: दिल्ली की एक अदालत ने बृहस्पतिवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को विदेशी योगदान नियमन अधिनियम के कथित उल्लंघन के एक मामले में एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया बोर्ड के अध्यक्ष आकार पटेल के खिलाफ जारी लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) को वापस लेने और उनसे माफी मांगने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि एजेंसी की ओर से सीबीआई निदेशक पटेल को "लिखित में माफी" मांगकर अपने अधीनस्थ की ओर से चूक को स्वीकार करें और इससे इस प्रमुख संस्थान में जनता का विश्वास बनाए रखने में मदद मिलेगी। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पवन कुमार ने यह आदेश पारित किया और जांच एजेंसी को 30 अप्रैल तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि आर्थिक नुकसान के अलावा, अर्जीकर्ता को मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ा क्योंकि उन्हें निर्धारित समय पर आने की अनुमति नहीं मिली।

मुआवजे के लिए खटखटाएं अदालत का दरवाजा 
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘अर्जीकर्ता मौद्रिक मुआवजे के लिए अदालत या अन्य मंच का दरवाजा खटखटा सकता है। इस अदालत का सुविचारित मत है कि इस मामले में, सीबीआई के प्रमुख अर्थात निदेशक, सीबीआई द्वारा अर्जीकर्ता को अपने अधीनस्थ की ओर से चूक को स्वीकार करते हुए एक लिखित माफी न केवल उनके घावों को भरेगी बल्कि इस प्रमुख संस्थान में जनता के विश्वास बनाए रखेगी।'' अदालत ने कहा कि पटेल एक बार जांच में शामिल हुए थे और उनकी पेशी के लिए उनके खिलाफ कोई अन्य प्रक्रिया या वारंट जारी नहीं किया गया था। न्यायाधीश ने कहा कि एलओसी आरोपी के मूल्यवान अधिकारों पर प्रतिबंध लगाने के लिए जांच एजेंसी का एक जानबूझकर किया गया कार्य है। अदालत ने यह भी कहा कि अगर जांच या सुनवायी के दौरान आरोपी के भाग जाने का खतरा होता तो उसे जांच के दौरान ही गिरफ्तार कर लिया जाता।

कोर्ट ने सीबीआई को लताड़ा
अदालत ने कहा, ‘‘सीबीआई द्वारा अपनाया गया रुख एक अंतर्निहित विरोधाभास है, एक तरफ सीबीआई का दावा है कि एलओसी जारी किया गया क्योंकि अर्जीकर्ता के विदेश भागने की आशंका थी और इसके विपरीत आरोपी को जांच और आरोपपत्र के दौरान गिरफ्तार नहीं किया गया तथा गिरफ्तारी के बिना आरोपपत्र दाखिल किया गया।'' इसने कहा कि सीबीआई ने यह भी नहीं बताया कि जांच के दौरान या आरोपपत्र दाखिल करते समय क्या सावधानियां या उपाय किए गए ताकि मुकदमे के दौरान आरोपियों की उपस्थिति सुनिश्चित हो सके। अदालत ने कहा, ‘‘दिलचस्प बात यह है कि जैसा कि जांच अधिकारी (आईओ) ने सूचित किया था कि एलओसी जारी करने के लिए अर्जी उस दिन दी गई जब आरोपपत्र पूरा हो गया और अदालत में दाखिल करने के लिए भेज दिया गया था। यह दिखाता है कि यह लापरवाही या अज्ञानता का मामला नहीं है, बल्कि यह जांच एजेंसी का आरोपी के मूल्यवान अधिकारों पर प्रतिबंध लगाने का एक जानबूझकर किया गया कार्य है।'' उसने कहा कि यह जांच एजेंसी का मामला नहीं है कि आरोपी अपनी गिरफ्तारी से बचा या जांच में शामिल नहीं हुआ।

एलओसी जारी करने से 3.8 लाख रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘एलओसी जारी करने से पहले, प्रभावित व्यक्ति के अधिकारों के परिणामों का अनुमान लगाया जाना चाहिए था। किसी भी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों को कानून द्वारा स्थापित किसी भी प्रक्रिया के बिना कम नहीं किया जा सकता है।'' अदालत ने यह भी कहा कि एलओसी जारी करने से आरोपी को लगभग 3.8 लाख रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ क्योंकि वह अपनी उड़ान से चूक गए और उन्हें उसमें सवार नहीं होने दिया गया। अदालत ने कहा, ‘‘यह सही है कि एलओसी आगे बढाने का विवेकाधिकार जांच एजेंसी के पास है, लेकिन विवेकाधिकार का प्रयोग बिना किसी उचित कारण या आधार के मनमाने ढंग से नहीं किया जा सकता है।'' अदालत ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में, सीबीआई के निदेशक से उन अधिकारियों को संवेदनशील बनाने की उम्मीद है जो एलओसी जारी करने का हिस्सा हैं। उसने कहा कि इस मामले में संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए। इससे पहले जिरह के दौरान, सीबीआई ने अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि अगर पटेल को देश छोड़ने की अनुमति दी जाती है तो उनके न्याय से भागने की संभावना है।

‘हम गिरफ्तारी की मांग नहीं कर रहे हैं'- एजेंसी
सीबीआई ने कहा कि पटेल अत्यधिक प्रभावशाली हैं। एजेंसी ने कहा, ‘‘हम गिरफ्तारी की मांग नहीं कर रहे हैं। हम कह रहे हैं कि उन्हें देश से बाहर नहीं जाना चाहिए।'' अदालत ने सीबीआई की इस दलील पर गौर किया कि जांच 2021 से जारी है और कहा कि अगर पटेल के विदेश भाग जाने का जोखिम होता तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया होता। अदालत ने कहा कि वह जांच के दौरान भी भाग सकते थे। पटेल के वकील ने सीबीआई की दलील का विरोध करते हुए दावा किया था कि एजेंसी नागरिकों के अधिकारों का हनन कर रही है। गौरतलब है कि पटेल ने आरोप लगाया था कि उन्हें बेंगलुरु हवाई अड्डे पर बुधवार को देश से बाहर जाने से रोक दिया गया। पटेल ने दावा किया था कि आव्रजन अधिकारियों ने उन्हें बताया कि सीबीआई ने उनके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया है। भाषा अमित पवनेश

 

rajesh kumar

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