ऑफ द रिकॉर्डः मोदी जो चाहते थे, वो नहीं हो पाने से ‘जी.सी. मुर्मू की जगह सिन्हा को लाना पड़ा’

Friday, Nov 20, 2020 - 05:17 AM (IST)

नई दिल्लीः गुजरात कैडर के अधिकारी जी.सी. मुर्मू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तब से सबसे पसंदीदा अधिकारी थे, जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे। जब यू.पी.ए. सरकार के दौर में मोदी सी.बी.आई. व अन्य एजैंसियों के आक्रमण झेल रहे थे, तो उस समय मुर्मू सभी संवेदनशील मामले संभालते थे। 

यह मुर्मू ही थे जो उन तूफानी सालों में दिल्ली के बड़े वकीलों से बातचीत करते थे। झारखंड के इस आडंबरहीन एवं कुशाग्रबुद्धि आई.ए.एस. अधिकारी को हमेशा अहम पद ही दिए गए और फिर मोदी ने उन्हें जम्मू-कश्मीर का पहला उपराज्यपाल बनाकर श्रीनगर भेजा था। मुर्मू के पास पहली बार स्वतंत्र रूप से काम करने का अवसर आया था। 

मोदी को उनकी क्षमताओं में बहुत अधिक विश्वास था परंतु जैसा सोचा गया था वैसा नहीं हुआ और इसी बात ने प्रधानमंत्री कार्यालय को चिंता में डाल दिया। शायद मुर्मू वह करने में नाकाम रहे जो मोदी चाहते थे। मोदी इस बात से नाराज थे कि उन्होंने राज्य का व्यापक स्तर पर दौरा नहीं किया और स्वयं को श्रीनगर स्थित राजभवन में बंद रखा। जैसे यह काफी न हो, मुर्मू अपने मुख्य सचिव, जो सेवाकाल की दृष्टि से उनसे वरिष्ठ थे, से भी लड़ाई में उलझे रहे। 

अंतत: मोदी ने मंजे हुए राजनेता मनोज सिन्हा को उनके स्थान पर भेजा ताकि राज्य में देर से चली आ रही समस्याओं को उखाड़ फैंकने के लिए कुछ साहसी फैसले लिए जा सकें। मनोज सिन्हा की खूबी यह है कि प्रधानमंत्री उनकी बात सुनते हैं और गृहमंत्री अमित शाह से उनकी अच्छी बनती है। मनोज सिन्हा राजनीतिक प्राणी हैं और उन्होंने घाटी के राजनीतिक वर्ग से व्यक्तिगत संबंध स्थापित करने में देर नहीं लगाई।  

Pardeep

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