क्या ऐसे बनेगा PM मोदी का ‘न्यू इंडिया’

Sunday, Aug 20, 2017 - 07:52 PM (IST)

नई दिल्ली: धर्म मनुष्य में मानवता जगाता है लेकिन जब धर्म ही मानव के पशु बनने का कारण बन जाए तो दोष किसे दिया जाए, धर्म को या मानव को? उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ताजा बयान का मकसद जो भी रहा हो लेकिन नतीजा अप्रत्याशित नहीं था। कहने को भले ही हमारे देश की पहचान उसकी यही सांस्कृतिक विविधता है लेकिन जब इस विविधता को स्वीकार्यता देने की पहल की जाती है तो विरोध के स्वर कहीं और से नहीं, इसी देश के भीतर से उठने लगते हैं।

जैसा कि होता आया है, मुद्दा भले ही सांस्कृतिक था लेकिन राजनीतिक बना दिया गया। देश की विभिन्न पार्टियों को देश के प्रति अपने कर्तव्यबोध का ज्ञान हो गया और अपने-अपने वोट बैंक को ध्यान में रखकर बयान देने की होड़ लग गई। विभिन्न टीवी चैनल भी अपनी कर्तव्यनिष्ठा में पीछे क्यों रहते? तो अपने-अपने चैनलों पर बहस का आयोजन किया और हमारी राष्ट्रीय स्तर की पार्टियों के प्रवक्ता भी एक से एक तर्कों के साथ उपस्थित थे और यह सब उस समय हुआ जब एक तरफ  देश अपने 66 मासूमों की मौत के सदमे में डूबा है, तो दूसरी तरफ  बिहार और असम के लोग बाढ़ के कहर का सामना कर रहे हैं।

कहीं मातम है, कहीं भूख है, कहीं अपनों से बिछुडऩे का दुख है तो कहीं अपना सब कुछ खो जाने का दर्द लेकिन हमारे नेता नमाज और जन्माष्टमी में उलझे हैं। इस देश में मानसून में कुछ इलाकों में हर साल बाढ़ आती है जिससे न सिर्फ जान और माल का नुक्सान होता है बल्कि फसल की भी बर्बादी होती है। वहीं दूसरी ओर कुछ इलाके मानसून का पूरा सीजन पानी की बूंदों के इंतजार में निकाल देते हैं और बाद में उन्हें सूखाग्रस्त घोषित कर दिया जाता है। सबसे महत्वपूर्ण विषय तो यह है कि थानों में जन्माष्टमी मनाई जानी चाहिए कि नहीं, कांवड़ यात्राओं में डीजे बजना चाहिए कि नहीं।

सड़कों पर या फिर एयरपोर्ट पर नमाज पढ़़ी जाए तो उससे किसी को कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि किसी समुदाय विशेष की धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं। मस्जिदों में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद लाऊड स्पीकर बजेंगे क्योंकि यह उनकी धार्मिक भावनाओं के सम्मान का प्रतीक है। मोहर्रम के जलूस को सड़कों से निकलने के लिए जगह देना इस देश के हर नागरिक का कत्र्तव्य है क्योंकि यह देश गंगा-जमुना, तहजीब को मानता आया है। लेकिन कांवडिय़ों के द्वारा रास्ते बाधित हो जाते हैं जिसके कारण जाम लग जाता है और कितने जरूरतमंद लोग समय पर अपने गंतव्यों तक नहीं पहुंच पाते और इस यात्रा में बजने वाले डीजे ध्वनि प्रदूषण फैलाते हैं।

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