ऑफ द रिकॉर्डः क्या आलोक वर्मा लड़ेंगे लोकसभा का चुनाव?

Thursday, Nov 22, 2018 - 01:40 PM (IST)

नेशनल डेस्कः  जबरन छुट्टी पर भेजे गए सी.बी.आई. निदेशक आलोक वर्मा उस दिन बहुत ही निराशाजनक स्थिति में होंगे, जब उन्होंने सरकार द्वारा उनको पेश किए गए ‘पीस पैकेज’ को ठुकरा दिया था। सबसे पहले उनके ‘बॉस’ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एन.एस.ए.) अजीत डोभाल ने अक्टूबर के मध्य में पी.एम.ओ. में उन्हें बुलाया था और उनको कहा कि एजेंसी में स्थिति सामान्य बनाई जाए। वर्मा इस बात को लेकर बहुत नाराज थे कि उनके 2 नंबर के अधिकारी राकेश अस्थाना ने एक पत्र सी.वी.सी. को भेज कर आरोप लगाए कि उन्होंने हैदराबाद के एक बिजनेसमैन सतीश साना से 2 करोड़ रुपए की रिश्वत ली है। 15-16 अक्टूबर को उन्होंने अस्थाना के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज कराई, जिसमें कहा गया कि मामले को बंद करने के लिए अस्थाना ने उसी व्यक्ति से रिश्वत ली थी।

इसके बाद पी.एम.ओ. में हड़कंप मच गया। डोभाल चाहते थे कि मामले को तुरंत बंद कर दिया जाए। वर्मा इस बात को लेकर परेशान थे कि अस्थाना द्वारा लंबे समय से सी.बी.आई. में उनको नीचा दिखाया जा रहा है और वह अस्थाना को सबक सिखाना चाहते थे। डोभाल ने वर्मा को बताया कि उन्होंने ही उनको पुलिस आयुक्त बनवाया था और बाद में सी.बी.आई. निदेशक। वर्मा को यह आश्वासन दिया गया कि एक फरवरी को सेवानिवृत्ति के बाद सरकार उनका ध्यान रखेगी। वर्मा बिना कोई आश्वासन दिए वापस लौट गए। चिंतित पी.एम.ओ. ने एक उच्च पुलिस अधिकारी को समझौता करवाने के लिए भेजा जो वर्मा का बैचमेट था। उन्हें आश्वासन दिया गया कि अस्थाना उनसे माफी मांगने के लिए भी तैयार हैं।

सरकार सेवानिवृत्ति के बाद 5 वर्ष का कार्यकाल भी देगी और उन्हें आर.पी. उपाध्याय और राजीव कृष्ण जैसे अपनी पसंद के अधिकारियों को सी.बी.आई. में लाने की अनुमति भी दी जाएगी, मगर वर्मा इस पेशकश पर राजी नहीं हुए और उनके सलाहकारों ने भी उनको बताया कि इन वायदों पर विश्वास नहीं किया जाना चाहिए। सूत्रों का कहना है कि एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता जो केंद्रीय मंत्री रहे और अब प्रमुख वकील हैं, आलोक वर्मा के साथ निरंतर संपर्क बनाए हुए हैं। वर्मा की सेवानिवृत्ति के बाद राजनीतिक महत्वाकांक्षा भी है। वह चुनाव भी लड़ सकते हैं। सेवानिवृत्ति के बाद वह अपनी रणनीति तैयार करेंगे, इसलिए उन्होंने सरकार की शांति के पेशकश को ठुकरा दिया। अब स्थिति सार्वजनिक हो चुकी है और मोदी सरकार इस समय संकट में है, जबकि राज्यों में विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं।

Seema Sharma

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