गुवाहाटी हाई कोर्ट ने पलटा फैसला, बोला- पत्नी का शंख-संदूर पहनने से इंकार मतलब शादी तोड़ना

Monday, Jun 29, 2020 - 03:13 PM (IST)

नेशनल डेस्कः गुवाहाटी हाईकोर्ट ने एक तलाक की याचिका पर सनुवाी करते हुए कहा कि हिंदू रीति-रिवाज के साथ हुई शादी के बाद अगर कोई महिला सिंदूर व शंख पहनने से मना करती है तो इसका मतलब उसे विवाह स्वीकार नहीं है। जस्टिस अजय लांबा और जस्टिस सुमित्रा साइकिया की बेंच ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में, पति को पत्नी के साथ वैवाहिक जीवन में बने रहने के लिए मजबूर करना उत्पीड़न माना जा सकता है। दरअसल फैमिली कोर्ट ने एक पति की तलाक याचिका को खारिज कर दिया था।

 

फैमिली कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि पत्नी ने पति के खिलाफ कोई क्रूरता नहीं की। इसके बाद पति गुवाहटी हाईकोर्ट गया। पति ने अपनी याचिका में कहा कि पत्नी ने शादी के बाद सिंदूर और शंख पहनने से इंकार कर दिया था। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह की प्रथा के तहत, एक महिला जो हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार शादी में शामिल हुई और उसने शादी की सारी रस्में भी निभाईं लेकिन शंख और संदूर पहनने से मना कर दिया तो यह साफ हैै कि वह पति के साथ नहीं रहना चाहती है।

 

पति की याचिका में क्या
फरवरी 2012 में पति ने आरोप लगाया शादी के एक महीने तक उसकी पत्नी अपने ससुराल में एक साथ रही लेकिन फिर उसने मांग की कि वह पति के साथ परिवार से अलग होकर रहना चाहती है। पत्नी की इस मांग से परिवार में रिश्ते खराब होने लगे। पत्नी ने भी झगड़े शुरू कर दिए। एक साल तक ऐसा ही रहा। बच्चा न होने पर पत्नी ने पति पर आरोप लगाए। साल 2013 में महिला ने ससुराल छोड़ दिया और पति व उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए के तहत क्रूरता का मामला दर्ज कर दिया। पति और रिश्तेदारों को बाद में उस मामले में बरी कर दिया गया था। पति ने तभी तलाक के लिए याचिका भी दायर कर दी। वहीं महिला ने पति पर आरोप लगा दिए कि वह और उसके घरवाले दहेज के लिए उसे तंग कर रहे हैं। साथ ही उसे खाना और चिकित्सा सुविधाएं भी अच्छे से नहीं दी जा रहीं। महिला के आरोपों पर फैमिली कोर्ट ने पति की याचिका खारिज कर दी। लेकिन हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को पलट दिया।

Seema Sharma

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