पत्नी को नहीं भरने दिया पानी तो पति ने किया कुछ ऐसा कि...

Tuesday, May 24, 2016 - 07:25 PM (IST)

सागर (मध्य प्रदेश) : कहते हैं कि अगर किसी लकीर को छोटा साबित करना चाहते हैं तो जरूरी नहीं कि लकीर मिटाई जाए। इसके बदले उसकी लकीर के पास एक बड़ी लकीर खींचकर पहली लकीर को छोटा साबित किया जा सकता हैं। कुछ ऐसा ही कर दिखाया किसान चैन सिंह लोधी ने, जिसकी आज चौतरफा सराहना हो रही है।

दरअसल यह कहानी है मध्य प्रदेश के सागर जिले की हंसुआ गांव की। यहां का चैन सिंह और उसकी पत्नी बिरमा ने अपने घर के आसपास कई पेड़ लगा रखे हैं। इन पेड़ों को वे नियमित रूप से सींचते आ रहे हैं। एक दिन बिरमा हैंडपंप पर पानी भरने गई तो वहां मौजूद कुछ महिलाओं ने उससे कहा कि लोगों को तो पीने पानी नहीं मिल रहा और तुम पेड़ों में डालकर पानी बर्बाद कर रही हो।

चैन सिंह बताता है कि पत्नी ने महिलाओं द्वारा कही बात उसे बताई, तभी उसने ठान लिया था कि अब वह अपनी मेहनत से कुआं खोदेगा। चैन सिंह के मुताबिक, उसने लगभग दो माह के श्रम से 15 फुट चौड़ा और 25 फुट गहरा कुआं खोद दिया है। इसके लिए उसने नीचे उतरने के लिए रस्सी में लकडिय़ां फंसाकर सीढ़ी बनाई और सब्बल व अन्य औजारों के बल पर उसने यह कुआं खोदा है।

 

मेहनती किसान बताता है कि कुएं के अंदर से मलबा बाहर लाने की कोशिश में वह घायल भी हुआ, मगर उसने हिम्मत नहीं हारी। अब कुएं से पानी निकल आया है तो उसे इस बात का संतोष है कि उसकी मेहनत सफल रही और अब कुएं के पानी से अपने पेड़ों की सिंचाई कर पा रहा है।  

 

चैनसिंह की पत्नी बिरमा भी इस बात से खुश है कि उसके पति ने उसकी पेड़ों की सिंचाई की इच्छा पूर्ति के लिए गांव वालों ने पानी नहीं भरने दिया तो कुआं ही खोद दिया। अब वह कुएं के पानी से अपने घर के पेड़ों की सिंचाई कर रही है।

 

सागर जिला बुंदेलखंड क्षेत्र में आता है और यहां भी पानी को लेकर मारामारी है। जलस्रोत सूख गए हैं, कई-कई किलोमीटर का रास्ता तय करके पानी लाना पड़ रहा है। ऐसे में जब चैन सिंह की पत्नी ने पौधों की सिंचाई की तो उसका विरोध हुआ।

 

चैन सिंह के पिता अमान सिंह का कहना है कि कुआं खोदते समय उनके बेटे को कई दफा चोट लगी, इस पर उन्होंने चैन सिंह को समझाया भी कि वह यह सब छोड़ दे, क्योंकि पानी निकलने वाला नहीं है। उसके बाद भी चैन सिंह ने हिम्मत नहीं हारी और आज उसकी मेहनत रंग लाई तथा कुएं से पानी निकल आया है।

 

गांव के काशीराम का कहना है कि चैन सिंह ने बगैर प्रशासनिक मदद के यह काम कर दिखाया है और वह इस कुएं को गहरा किए जा रहा है। जब उसने काम शुरू किया था, तब ऐसा लगता नहीं था कि कुएं में पानी आएगा, उसकी मेहनत रंग लाई और कुएं में पानी आ गया।

 

सूखाग्रस्त बुंदेलखंड में चैन सिंह उस सरकारी मशीनरी को आईना दिखाया है, जो पानी की अनुपलब्धता का लगातार बहाना करती आ रही है। कहते भी हैं, नेक इरादे वालों की भगवान भी मदद करता है। चैन सिंह के साथ भी ऐसा ही हुआ है।

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