कर्नाटक में भाजपा के लिए जरूरी क्यों बन गए येदियुरप्पा

Thursday, Jul 11, 2019 - 11:51 AM (IST)

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी में परंपरा के तहत कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री 76 वर्षीय येदियुरप्पा को जहां सक्रिय राजनीति से अवकाश लेना चाहिए वहीं वे इस समय प्रदेश में एचडी कुमारस्वामी की लड़खड़ाती सरकार के बीच एक बार फिर से मुख्यमंत्री बनने की कोशिश में लगे हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि दो निर्दल विधायकों ने प्रदेश में जेडीएस की गठबंधन सरकार से अपना समर्थन सोमवार को वापिस ले लिया था। कांग्रेस के 12 विधायकों व एक अन्य विधायक ने विधानसभा से अपना इस्तीफा दे दिया है। इस तरह यदि इनका इस्तीफा स्वीकृत हो गया तो 224 सदस्यों की विधानसभा में कुल 211 विधायक शेष होंगे। ऐसे में सरकार चलाने के लिए कम से 106 विधायकों की जरूरत होगी। इस्तीफा स्वीकृत हो जाने के बाद जेडीएस व कांग्रेस के विधायकों की संख्या 104 रह जाएगी। दूसरी ओर भाजपा के विधायकों की संख्या 105 है। वह दो निर्दलीय विधायकों से समर्थन हासिल करके सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है।

कर्नाटक मामलों से जुड़े भाजपा के एक नेता के अनुसार कुमारस्वामी की सरकार गिरने के बाद यदि भाजपा सरकार बनाती है तो येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री बनने में कोई अड़चन नहीं होगी। जहां तक उनके 75 साल की उम्र पार करने की बात है तो जब पिछले साल वे मुख्यमंत्री बने थे तब भी वे 75 साल की उम्र पार कर चुके थे। उल्लेखनीय है कि बहुमत साबित नहीं कर पाने के कारण उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। भाजपा ने 75 साल की उम्र के नेताओं को सक्रिय राजनीति से रिटायर करने का की नीति के तहत पिछले लोकसभा चुनाव में लाल कृष्ण आडवाणी, शांता कुमार, मुरली मनोहर जोशी को टिकट नहीं दिया गया था। इसी नीति के तहत गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल को भी कुर्सी छोडऩी पड़ी थी। भाजपा के एक नेता के अनुसार कर्नाटक में येदियरप्पा का अभी पार्टी में कोई विकल्प नहीं है।

यही कारण है कि वे 76 साल की उम्र पार करने के बाद भी पार्टी के लिए जरुरी हैं। वे वर्तमान में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष होने के साथ ही विधानसभा में नेता विपक्ष की भी भूमिका निभा रहे हैं। इस तरह भाजपा की एक व्यक्ति एक पद की नीति भी उन पर लागू नहीं हो रही है। कर्नाटक में भाजपा येदियुरप्पा समर्थक तथा विरोधियों के बीच में बंटी हुई है। बावजूद इसके येदि भाजपा के सबसे चर्चित चेहरा हैं तथा पूरे राज्य में उनका प्रभाव है। उनके अलावा सदानंद गौड़ा और जगदीश शेट्टार भाजपा दो अन्य प्रमुख चेहरा हैं। यह दोनों भी प्रदेश में मुख्यमंत्री रह चुके हैं लेकिन पार्टी के अंदर वे येदियुरप्पा को चुनौती देने की स्थिति में नहीं है।

येदियुरप्पा कर्नाटक के प्रभावशाली लिंगायत समुदाय के चहेते नेता हैं। प्रदेश में लिंगायत समुदाय के लोगों की कुल 16 फीसदी आबादी है। लिंगायत समुदाय में भाजपा की वैसे खासी पकड़ है लेकिन जब 2013 येदियुरप्पा ने भाजपा से अलग होकर कर्नाटक जनता पक्ष पार्टी से चुनाव लड़ा था तो भाजपा को इस समुदाय में खासा नुकसान उठाना पड़ा था।

Seema Sharma

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