छलका अनुपम खेर का दर्द, पूछा-कश्मीरी पंडित रिफ्यूजी क्यों

Friday, Jan 20, 2017 - 09:12 AM (IST)

जम्मू (सतीश): जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विस्थापित कश्मीरी पंडितों की ससम्मान वापसी को लेकर पेश प्रस्ताव गुरुवार को सर्वसम्मति से पारित हो गया। सदन की कार्रवाई जैसे ही शुरू हुई तो विपक्ष के नेता उमर अब्दुल्ला ने कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों की वापसी का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों के घाटी से विस्थापन को 27 साल गुजर चुके हैं। अब सम्मानपूर्वक उनकी वापसी के लिए अनुकूल माहौल तैयार किया जाना चाहिए। अब्दुल्ला ने अध्यक्ष से अपील की कि सभी को राजनीति से परे रह कर इस मुद्दे पर चर्चा करने के साथ ही एक प्रस्ताव लाया जाना चाहिए। संसदीय मामलों के मंत्री अब्दुल वीरी ने अब्दुल्ला के सुझाव का स्वागत किया। प्रश्नकाल के बाद इस संबंध में प्रस्ताव पेश किया गया जिसे सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी गई, हालांकि निर्दलीय विधायक इंजी. रशीद ने प्रस्ताव पर आपत्ति जताई। इस मुद्दे पर सदन में भाजपा के विधायकों सत शर्मा व रविंद्र राणा तथा इंजी. रशीद  के  बीच  तीखी  नोक-झोंक  भी हुई। गौरतलब है कि 19 जनवरी 1990 के दिन ही हजारों कश्मीरी पंडित वहां से पलायन कर गए थे।

पलायन की 27वीं एनिवर्सरी पर छलका अनुपम खेर का दर्द
कश्मीरी पंडितों के घाटी से पलायन की 27वीं एनिवर्सरी पर अनुपम खेर ने अपने ट्विटर अकाऊंट में गुरुवार को एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें वह एक कविता पढ़ते दिख रहे हैं। उन्होंने यह कविता ‘फैलेगा हमारा मौन’ टाइटल से कश्मीरी पंडितों को डैडीकेट की है। इसके साथ ही खेर ने एक कमैंट भी किया है कि 27 साल बाद भी हम कश्मीरी पंडित अपने देश में रिफ्यूजी क्यों हैं? अनुपम खेर खुद भी कश्मीरी पंडित हैं। उन्होंने जो वीडियो पोस्ट किया है उसे फिल्म मेकर और सोशल एक्टिविस्ट अशोक पंडित ने डायरैक्ट किया है। अनुपम खेर ने कहा कि इस दिन को कोई भी कश्मीरी पंडित भूल नहीं सकता। इस दिन वहां मस्जिदों से ऐलान किया जा रहा था कि कश्मीरी पंडितो अपने घरों को छोड़ दो, तुम यहां से चले जाओ।

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