LAC तनावः राहुल गांधी का सरकार से सवाल, प्रधानमंत्री चीन के साथ क्यों खड़े हैं?

punjabkesari.in Tuesday, Jun 23, 2020 - 11:05 PM (IST)

नई दिल्लीः कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लद्दाख में गतिरोध के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक बयान को लेकर मंगलवार को उन पर सेना के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया और सवाल किया कि प्रधानमंत्री भारतीय सेना के बजाय चीन का समर्थन क्यों कर रहे हैं ? उन्होंने यह भी कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में शहीद हुए 20 जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाए। राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘चीन ने हमारी जमीन ले ली। भारत इसे वापस लेने के लिए बातचीत कर रहा है। चीन कह रहा है कि यह (उसके कब्जे वाली) भारतीय जमीन नहीं है। प्रधानमंत्री ने चीन के दावे का सार्वजनिक रूप से समर्थन किया।'' उन्होंने सवाल किया, ‘‘ प्रधानमंत्री हमारी सेना के बजाय चीन का समर्थन क्यों कर रहे हैं ?''
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इससे पहले गांधी ने कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में आरोप लगाया, ‘‘चीन ने बड़ी ढिठाई से हमारे क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। प्रधानमंत्री ने चीन के इस रुख को स्वीकार करके हमारे रुख को नष्ट कर दिया और हमारी सेना के साथ विश्वासघात किया कि कोई भारतीय क्षेत्र उनके कब्जे में नहीं है।'' उन्होंने कहा, ‘‘ चीन को हमारी भूमि पर कब्जा करके निकल जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। यह सुनिश्चित करने के लिए सब कुछ किया जाना चाहिए कि हमारे जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाए।''
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कांग्रेस नेता ने दावा किया, ‘‘ चीन की इस हरकत का एक कारण हमारी विदेश नीति की पूरी तरह नाकामी है। प्रधानमंत्री ने कूटनीति के स्थापित संस्थागत ढांचे को ध्वस्त कर दिया। कभी पड़ोसियों के साथ मित्रवत रहे संबंध अब तनाव में हैं। अपने साझेदार देशों के साथ हमारे संबंध बाधित हो गये हैं।'' उन्होंने कहा कि भारत को अमेरिका और अन्य देशों के साथ अच्छे संबंध बनाने चाहिए और साथ ही अपने पुराने मित्रों के साथ अच्छे रिश्ते बरकरार रखने चाहिए।
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गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-चीन संघर्ष के विषय पर गत शुक्रवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में कहा था कि न कोई हमारे क्षेत्र में घुसा और न ही किसी ने हमारी चौकी पर कब्जा किया है। उनके इस बयान को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय ने शनिवार को कहा था कि सर्वदलीय बैठक में मोदी की टिप्पणियों की कुछ हलकों में ‘‘शरारतपूर्ण व्याख्या'' की कोशिश की जा रही है।
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Yaspal

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