भाजपा से खफा-खफा TDP, जानिए क्या है नाराजगी की वजह

Tuesday, Feb 06, 2018 - 10:20 AM (IST)

नई दिल्ली: एन.डी.ए. से 4 दिन से नाराज चली आ रही तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) मान गई है। पार्टी ने फिलहाल एन.डी.ए. के साथ रहने का फैसला किया है। हालांंकि, पार्टी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने पार्टी सांसदों से एन.डी.ए. सरकार पर दबाव डालने को कहा है। बता दें कि आम बजट में आंध्र प्रदेश के लिए कोई बड़ा ऐलान नहीं होने से टी.डी.पी. के सांसदों ने नाराजगी जताते हुए एन.डी.ए. से अलग होने की बात कही थी। इसके बाद मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने कैबिनेट मंत्रियों के साथ एमरजैंसी मीटिंग की।

यह है नाराजगी की वजह
-दरअसल 1 फरवरी को आम बजट में आंध्र प्रदेश के लिए कोई स्पैशल पैकेज नहीं रखा गया। इससे टी.डी.पी. के कुछ सांसद नाराज दिखे। एक सांसद टी.जी. वेंकटेश ने तो यहां तक कह दिया कि हम लड़ाई (वार) की शुरूआत करने जा रहे हैं। ऐसे में 3 ही ऑप्शन बचती हैं। पहला-गठबंधन में बने रहें। दूसरा-हमारे सभी सांसद इस्तीफा दे दें और तीसरा-गठबंधन (एन.डी.ए. से नाता) तोड़ दें।

-एक और सांसद राममोहन नायडू ने कहा था कि आंध्र प्रदेश को दरकिनार करने के चलते वह अपना इस्तीफा देने को तैयार हैं।

आंध्र को 4 साल से मदद का इंतजार
-राज्य के कैबिनेट मंत्री एस. चंद्रमोहन रैड्डी ने शुक्रवार को मीटिंग के बाद कहा था कि हम केंद्र सरकार के समक्ष बजट को लेकर अपना असंतोष जताएंगे। उन्होंने कहा कि तेलंगाना से अलग होने के बाद राज्य को 4 चार साल के लंबे समय के दौरान कई मुश्किल हालातों का सामना करना पड़ा है। तभी से हमें केंद्र सरकार की मदद का इंतजार था लेकिन निराशा ही हाथ लगी।

शिवसेना कर चुकी अलग चुनाव लड़ने की घोषणा
-इससे पहले 23 जनवरी को एन.डी.ए. और भाजपा की पुरानी सहयोगी शिवसेना ने 2019 का आम चुनाव अलग लडऩे की घोषणा की थी। पार्टी नेता और सांसद संजय राउत ने कहा था कि 2019 में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में शिवसेना एन.डी.ए. के साथ नहीं बल्कि अकेले चुनाव लड़ेगी।

अमित शाह ने चंद्रबाबू नायडू को किया फोन
चर्चा है कि आम बजट में अनदेखी से नाराज तेलुगू देशम पार्टी एन.डी.ए. से अलग हो सकती है, को देखते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से फोन कर आग्रह किया कि बैठक में वह कोई कड़ा फैसला न लें। बैठक में फैसला किया जाना था कि केंद्र और राज्य में एन.डी.ए. के गठबंधन को जारी रखा जाए या नहीं। इससे पहले टी.डी.पी. सांसद रायपति संबाशिव राव ने यहां तक कह दिया था कि बजट में उनके प्रदेश के लिए कुछ नहीं है। अगर हमारे लिए कुछ नहीं किया जाता है तो हम एन.डी.ए. से बाहर हो जाएंगे।

वहीं चंद्रबाबू नायडू ने अपने सभी सांसदों और नेताओं को अभी किसी भी तरह की बयानबाजी करने से मना कर दिया था। उनका कहना था कि हम गठबंधन धर्म निभा रहे हैं लेकिन अगर भाजपा उन्हें गठबंधन में साथ लेकर नहीं चलना चाहती है तो वह नमस्ते कहकर आगे बढ़ जाएंगे। उल्लेखनीय है कि 2014 के चुनाव में टी.डी.पी. और भाजपा गठबंधन ने राज्य की 25 लोकसभा सीटों में से 18 पर विजय हासिल की थी और विधानसभा चुनाव में 175 में से 103 सीटें जीती थीं। वहीं आंध्र प्रदेश विधानसभा में भाजपा के 4 एम.एल.ए. हैं।

आंध्र प्रदेश के लिए ‘रॉ डील’
प्रदेश सरकार ने केंद्र से क्या मांगा

टी.डी.पी. के सांसद शिव प्रसाद ने बताया कि यह तनाव सिर्फ  इसी बजट में पैदा नहीं हुआ। हमारी उपेक्षा लंबे समय से चल रही है लेकिन केंद्र सरकार के इस आखिरी बजट में तो हमारे राज्य की पूरी तरह से उपेक्षा की गई। आंध्र प्रदेश में टी.डी.पी. के प्रवक्ता और एम.एल.सी. वारा प्रसाद ने बताया कि पिछले 2-3 सालों में प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कम से कम 30 बार मुलाकात की, वित्त मंत्री से मिले और हर बार राज्य की मांगों को उनके सामने रखा।

-तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच शैड्यूल 9 और 10 के तहत संपत्ति संपदा का ठीक से बंटवारा नहीं हुआ

-आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा दिए जाने के बदले 2020 तक 16,447 करोड़ रुपए रिलीज करने थे जो नहीं हुए।

-पोलबरम प्रोजैक्ट के तहत 3451 करोड़ रुपए की भरपाई की जानी थी। इस प्रोजैक्ट की कीमत अब 58 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गई है।

-एक्ट के तहत विशाखापट्टनम सहित 2 रेलवे जोन बनाने की बात थी, जो सिरे से नदारद है।

-दूसरे मैट्रो शहरों की तर्ज पर राजधानी बनाने के लिए उदारतापूर्ण वित्तीय सहायता करना। केंद्र सरकार ने अब तक 25 सौ करोड़ रुपए जारी किए हैं।

-अनंतपुर और विजियांग्राम में सैंट्रल यूनिवर्सिटी और ट्राइबल यूनिवर्सिटी की स्थापना करना।

-9 अन्य संस्थानों की स्थापना के लिए केंद्र सरकार ने प्रदेश को 11673 करोड़ रुपए जारी करने थे लेकिन केंद्र ने अब तक 421 करोड़ रुपए जारी किए हैं। बाकी राशि जारी करना।

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