2008 में हुई थी डील की शुरूआतः पढ़िए, राफेल पर क्यों है विपक्ष और सरकार में रार

Thursday, Jan 03, 2019 - 10:04 AM (IST)

नई दिल्ली: संसद में बुधवार को राफेल डील पर राहुल गांधी व अरुण जेटली भिड़ गए। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल मामले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक बार फिर निशाना साधा और कहा कि अब इस मामले में ‘पूरी दाल काली’ है तथा पूरा देश प्रधानमंत्री से सवाल पूछ रहा है कि किस के कहने पर राफेल का सौदा बदला गया। वहीं जेटली ने जवाब देते हुए कहा कि राहुल जिस ऑडियो टेप को लेकर विपक्ष शोर मचा रहा है उसकी प्रमाणिता साबित करने पर राहुल गांधी चुप है, ऐसे इसलिए क्योंकि वो टेप फर्जी है और मिस्टर गांधी लगातार झूठ बोल रहे हैं।

विपक्ष का वार
राफेल मामले पर लोकसभा में चर्चा के दौरान राहुल ने दावा किया कि संयुक्त संसदीय समिति (जे.पी.सी.) की जांच से ही इस मामले में ‘दूध का दूध, पानी का पानी’ हो जाएगा। गांधी ने कहा कि यू.पी.ए. सरकार के समय वायुसेना के कहने पर 126 राफेल विमान खरीदने की प्रक्रिया आगे बढ़ी थी, लेकिन प्रधानमंत्री ने नए सौदे में यह संख्या 36 विमान कर दी। उन्होंने सवाल किया कि प्रधानमंत्री बताएं कि किस के कहने पर यह किया गया, क्या वायुसेना ने कहा था? कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि इस मामले में दाल में कुछ काला नहीं बल्कि पूरी दाल ही काली है। उन्होंने कहा कि भाजपा के लोग डरें नहीं, जे.पी.सी. की जांच कराएं। दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा।

सरकार का पलटवार
वित्त मंत्री अरुण जेतली ने कांग्रेस नेतृत्व पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्हें यह देख कर हैरानी हुई कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल को लेकर लोकसभा में जो कुछ कहा वह साबित करता है कि उन्हें इन विमानों की कोई समझ नहीं है। उन्होंने किसी का नाम लिए बिना आरोप लगाया कि कांग्रेस के एक परिवार के पास सिर्फ भ्रष्टाचार करने की समझ है। पैसे कैसे बनाने हैं, इस गणित में उनको महारत हासिल है। उन्होंने नैशनल हेराल्ड का मामला उठाया और कहा कि यह एक ट्रस्ट था लेकिन इस परिवार ने इस ट्रस्ट को अपनी संपत्ति मान लिया और परिवार के लोग आज भ्रष्टाचार के मामले में जमानत पर हैं। जेतली ने कहा कि इस परिवार पर 3-3 बार भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। बोफोर्स में भ्रष्टाचार किया, अगस्ता में भ्रष्टाचार किया और नैशनल हेराल्ड में भ्रष्टाचार किया है। जेतली ने कहा कि लोकसभा में नारे लग रहे हैं-मां-बेटा चोर हैं। बोफोर्स, नैशनल हेराल्ड और अगस्ता मामले में गांधी परिवार का नाम है। बोफोर्स की डायरी में लिखा था-क्यू बचाओ।

डील पर ये हैं आरोप-प्रत्यारोप
पार्टनर चुनने पर सवाल

विपक्ष: दसॉल्ट से करार में ऑफसैट पार्टनर चुनने का दारोमदार फ्रांस की कंपनी के पास था लेकिन सवाल यह है कि किस आधार पर भारत सरकार की एविएशन इकाई एच.ए.एल. एक ऐसी कंपनी से पिछड़ गई जिसने एविएशन क्षेत्र में कदम करार के बाद रखा।

सरकार: पार्टनर चुनने का अधिकार सरकार को नहीं बल्कि दसॉल्ट के पास था। दसॉल्ट ने ही एच.ए.एल. को दरकिनार कर रिलायंस को चुना क्योंकि एच.ए.एल. के पास वह आधारभूत ढांचा नहीं था।

कीमत में फर्क

विपक्ष सरकार
526.1 करोड़ एक राफेल की कीमत तय की थी 9.17 करोड़ यूरो प्रति राफेल तय की थी कीमत
1570.8 करोड़ तय की केंद्र सरकार ने 10.08 करोड़ यूरो तय की थी यू.पी.ए. सरकार ने

 

सरकार ने गंवाए (विपक्ष ) हमने बचाए (सरकार)
40,000 करोड़ रुपए हमने बचाए 12,600 करोड़ रुपए


कीमत में इतना अंतर क्यों
सरकार का दावा है कियू.पी.ए. सरकार के दौरान सिर्फ विमान खरीदना तय हुआ था। इसके स्पेयर पार्ट्स, हैंगर्स, ट्रेनिंग सिमुलेटर्स, मिसाइल या हथियार खरीदने का कोई प्रावधान नहीं था। इसके अलावा राफेल के साथ मेटिओर और स्कैल्प जैसी दुनिया की सबसे खतरनाक मिसाइलें भी मिलेंगी।

जानकारी सार्वजनिक क्यों नहीं
विपक्ष : आरोप है कि 36 विमानों के लिए हुए सौदे की लागत का पूरा विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया। उनका आरोप है कि अगर राफेल मामले में सरकार पाक-साफ है तो वह जहाजों की कीमत व अन्य जानकारी को सार्वजनिक करने से क्यों हिचकिचा रही है।

सरकार: इस मसले पर केंद्र का कहना है कि भारत-फ्रांस के बीच 2008 में सुरक्षा समझौता हुआ था जिसके मुताबिक दोनों देश इस समझौते से जुड़ी एक-दूसरे की गोपनीय जानकारी सार्वजनिक नहीं करेंगे।

Seema Sharma

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